कोमा में जाने के बाद शरीर में क्या-क्या होता है? जानिए इस स्थिति में कैसे चला जाता है इंसान
कोमा एक लंबी बेहोशी की हालत को कहा जाता है. यह तब होता है जब कोई इंसान किसी भी चीज पर न्यूनतम प्रतिक्रिया भी न दे और न ही हिल-डुल या चल फिर सके.
इस प्रक्रिया के दौरान इंसान सोता हुआ नजर आता है, लेकिन यह एक ऐसी नींद होती है जो कि किसी के जगाने से, बिजली के झटके से या फिर सुई चुभोने से भी न ठीक हो सके.
दरअसल जब दिमाग पर किसी तरह की कोई चोट लग जाती है तब या फिर दिल का दौरा या दिमागी आघात या फइर शराब के साथ कोई नशा मिलाकर लेने से भी इंसान कोमा में जाता है.
वैसे 50% से ज्यादा कोमा में जाने की वजह दिमाग पर गहरा आघात लगना होता है. किसी के कोमा में रहने समय कुछ हफ्तों, महीनों या फिर सालों भी हो सकता है. लेकिन कोई मरीज कोमा से एकदम नहीं लौट पाता है.
कोमा में जाने के बाद इंसान एक तरह से बेहोश हो जाता है और उसका जागना मुश्किल हो जाता है, लेकिन उसके आसपास कई बदलाव होते हैं, जैसे कि आंखें बंद होना, दर्द या आवाज पर प्रतिक्रिया न हो पाना.
कोमा में जाने वाला व्यक्ति जागने में असमर्थ हो जाता है, उसमें सजगता की कमी होती है और वह किसी चीज पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है. उसकी दिमागी चेतना पूरी तरह से बंद हो जाती है.
कोमा में कुछ लोगों को सांस लेने में कठिनाई होती है, जिससे कि उनको वेंटिलेटर पर रखा जाता है. इसके अलावा व्यक्ति को निगलने, खांसने जैसी चीजों में भी दिक्कत होती है.