जब अंटार्कटिका की बर्फ पिघली तो क्या हुआ था? दुनिया में छाई थी गर्मी या सर्दी?
अंटार्कटिका में दुनिया का 60% साफ पानी बर्फ के रूप में जमा हुआ है. कहा जाता है कि अगर अंटार्कटिका की बर्फ पूरी तरह से पिघल जाए तो पृथ्वी पर महासागरों का जलस्तर 58 मीटर तक ऊंचा हो जाएगा. इससे समुंद्र किनारे रहने वाले लोगों की दुनिया ही बर्बाद हो सकती है. यहां तक कि पृथ्वी का नक्शा पूरी तरह से बदल जाएगा.
नॉर्वेनियन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नॉलॉजी की असोसिएट प्रोफेसर इरीना रोगोजीना ने अंटार्कटिका में बर्फ पिघलने के नतीजों के बारे में बताया है. प्रोफेसर का कहना है कि पूर्व अंटार्कटिका में बहुत ज्यादा बर्फ जमी हुई है. अगर यह पिघल जाती है तो महासागरों का जलस्तर 53 मीटर तक ऊपर जा सकता है. इसी वजह से अब साइंटिस्ट अंटार्कटिका में बर्फ को लेकर किए जाने वाले सॉल्यूशन पर ध्यान दे रहे हैं.
रिसर्चर्स ने हाल ही में पूर्वी अंटार्कटिका के क्वीन मडल लैंड के बर्फ पर रिसर्च की और पाया कि वहां बर्फ की चादर में बदलाव आए हैं. टीम ने कई हजार साल पहले पिघले बर्फ का विश्लेषण किया. रिसर्च के नतीजे कम्यूनिकेशन्स अर्थ एंड एनवयार्नमेंट जर्नल में पब्लिश भी हुए हैं.
अंटार्कटिका मे इस समय बर्फ सब जगह एक जैसी नहीं है. पश्चिम की तरफ अधिकांश हिस्सा पानी के नीचे है और करीब 2500 मीटर तक गहरा है. वहीं पूर्व में जमीन समुद्र सतह से ऊपर है. पूर्व अंटार्कटिका में पहले बर्फ की लेयर पिघलने से समुद्र तल 100 मीटर बढ़ गया था.
शोधकर्ताओं ने पाया कि पूर्व अंटार्कटिका के क्वीन मॉड लैंड में बर्फ की चादर 9,000 साल से 5,000 साल पहले तेजी से पिघली थी. ऐसा होने से, उस समय दुनिया के बहुत से हिस्सों में गर्मी के मौसम में और ज्यादा गर्मी हो गई थी.