Water Resources: यहां समझिए नदी और नहर सहित जल के अन्य स्त्रोतों के बीच अंतर
नदी: नदी जल के सबसे उत्तम स्त्रोतों में से एक है. कहा जाता है कि पहले इनका पानी मीठा होता था. नदी अंत में जाकर समुद्र में मिल जाती है. यह अलग बात है कि आज के समय में इनका जल दूषित हो चुका है. नदी एक बहती हुई जलधारा है. इसमें पानी हमेशा बहता रहता है. नदी के बारे में कहा जाता है कि नदी अपना रास्ता खुद बनाती है. यह टेडी-मेढ़ी होकर बहती है, बिल्कुल किसी सांप की तरह. इसके साथ ही यह कहीं पर नेड़ी तो कहीं पर बहुत चौड़ी होती है.
नहर: नहर प्राकृतिक तरीके से नही बनती हैं. इन्हे इंसानों ने बनाया होता है. ये दो नदियों या पानी के किसी अन्य स्रोत को मिलाकर बनाई गई एक कृत्रिम रचना है, इसको बनाने के पीछे का उद्देश्य जल को एक जगह से दूसरी जरूरत की जगह तक ले जाना होता है. आमतौर पर ये सिंचाई के उद्देश्य से नदियों में से ही निकालकर बनाई जाती हैं. ये बिलकुल सीधी बहती हैं.
तालाब: तालाब जल का सबसे छोटा स्त्रोत होता है. बारिश का पानी, जो छोटे बड़े गड्ढों में एक जगह पर एकत्रित हो जाता है को तालाब कहते हैं. इनमें पानी बहता नहीं है रुका हुआ रहता है.
महासागर: जल के स्त्रोतों में महासागर जल का सबसे बड़ा स्रोत होता है. इसका पानी खारा होता है. ये बहुत ही विशालकाय और गहरे होते हैं. पृथ्वी बहने वाला सारा जल महासागर में ही आकर मिलता है. पृथ्वी पर मौजूद कुल पानी का 70% महासागरों में ही मिलता है.
सागर: महासागर का ही एक छोटा हिस्सा होता है सागर. यह महासागर की अपेक्षा कम गहरा होता है. सागर महासागर का वह हिस्सा होता है, जो आंशिक रूप से जमीन से जुड़ा होता है. महासागर की ही तरह इनका जल भी खारा होता है. सागर और महासागर में एक सबसे बड़ा अंतर यह है कि महासागर की गहराई बहुत ज्यादा है जिसे अभी तक नाप नहीं पाया है, लेकिन सागर की गहराई को नापा जा चुका है.