औषधीय गुणों से भरपूर है यह जंगली फल, क्या हैं इसके फायदे
काफल का यह पौधा 4000 से 6000 फुट तक की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पैदा होता है. यह अधिकतर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर-पूर्वी राज्य मेघालय और नेपाल में पाया जाता है.
काफल का अंग्रेजी या वैज्ञानिक नाम बॉक्स मर्टल और बेबेरी भी कहा जाता है. काफल स्वाद में खट्टा-मीठा मिश्रण लिए होता है.
यह जंगली फल एंटी-ऑक्सीडैंट गुणों के कारण हमारे शरीर के लिए फायदेमंद होता है.
काफल के ऊपर मोम के प्रकार के पदार्थ की परत होती है जो कि पारगम्य एवं भूरे व काले धब्बों से युक्त होती है। बता दें कि यह मोम मोर्टिल मोम कहलाता है तथा फल को गर्म पानी में उबालकर आसानी से अलग किया जा सकता है. यह मोम अल्सर की बीमारी में प्रभावी होता है।
काफल पेड़ के तने की छाल का सार, अदरक तथा दालचीनी का मिश्रण अस्थमा, डायरिया, बुखार, टायफाइड, पेचिस तथा फेफड़े ग्रस्त बीमारियों के लिए अत्यधिक उपयोगी है.
पेड़ की छाल का पाउडर जुकाम, आंख की बीमारी तथा सरदर्द में सूंधनी के रूप में प्रयोग में लाया जाता है.
इतनी ही नहीं काफल के फूल का तेल कान दर्द, डायरिया तथा लकवे की बीमारी में उपयोग में लाया जाता है. इस फल का उपयोग औषधि तथा पेट दर्द निवारक के रूप में होता है.