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मुगलों के वक्त से भारत में हैं ये रेड लाइट एरिया, कब से चल रहा है जीबी रोड?

नीलेश ओझा   |  01 Jan 2024 09:42 PM (IST)
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भारत में रेड लाइट एरिया मुगलों वक्त से ही चला आ रहा है. दिल्ली में बसी जीबी रोड का इतिहास मुगलों से जुड़ा हुआ है. बहुत कम लोग जानते होंगे मुगलों के चलते ही जीबी रोड बनी. जीबी रोड को भारत का काफी पुराना रेड लाइट एरिया माना जाता है. जीबी रोड के नाम की बात की जाए तो इसका नाम पड़ा अंग्रेजी अफसर गारस्टिन बास्टियन के नाम पर. उन्हीं के नाम के चलते इसे जीबी रोड का कहा जाने का.

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जीबी रोड दिल्ली का सबसे बड़ा रेड लाइट एरिया है. आज भी यहां हजारों की संख्या में महिलाएं वेश्यावृत्ति के धंधे को करती हैं. जीबी रोड का एक बहुत पुराना और बड़ा कनेक्शन मुगलों से है. मुगलों के समय में उनके महल में एक जगह हुआ करती थी जिसे हराम कहा जाता था. उसे हरम में मुगलों की दासियां रहती थी. यानी की वह लड़कियां जो उनको पसंद आती थीं उन्हें वह जबरन रख लेते थे. फिर उनका ठिकाना हरम बन जाता था.

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ये औरतें और महिलाएं शाहजहां के जहांगीर से विरासत में दी गई थी. जहांगीर उन महिलाओं को हरम से निकाल दिया करता था. जिनकी उम्र ज्यादा हो जाती थी. वहां वो उनकी जगह खूबसूरत महिलाओं और कम उम्र की लड़कियों को जगह दे देता था. हरम जब तक जहांगीर के कब्जे में था तब तक वहां जहांगीर की ही चलती थी. जहांगीर के बाद हरम की ये विरासत शाहजहां के पास चली गई.

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शाहजहां भी इसी प्रकिया को दोहराने. हरम से निकाली गई औरतें औऱ लड़कियां पहुंच जाती थी. जीबी रोड़ यहां उनकी खरीददारी के लिए मीना बाजार भी लगाया जाता था. शाहजहां को जब औरंगजैब़ ने पकड़ के कैदी बना लिया. हरम की कई महिलाओं को भी उसने वहां से निकाल दिया. वह सब पहुंच गईं जीबी रोड़.

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मुगलों के समय यह जीबी रोड एरिया पांच अलग-अलग जगहों में फैला हुआ था. लेकिन जब अंग्रेजों ने भारत पर राज करना शुरू किया. तब उन्होंने इन सभी जगहों को एक साथ मिला दिया.

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जिस अंग्रेजी अफसर ने काम किया था उसका नाम था गारस्टिन बास्टियन. उसी अंग्रेजी अफसर के नाम पर इस रोड को नाम जीबी रोड पड़ गया. साल 1966 में भारत सरकार द्वारा इसका नाम बदलकर श्रद्धानंद मार्ग कर दिया.

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