इस एक चीज ने धरती से मिटा दिया था डायनासोरों का नामो निशान, मच गई थी तबाही
वैज्ञानिकों के अनुसार, एक विशाल उल्कापिंड मेक्सिको के युकाटन प्रायद्वीप में समुद्र में गिरा था. इस टक्कर से इतनी भयंकर ऊर्जा निकली कि धरती हिल गई और आसमान में धूल का एक विशाल बादल छा गया. इस धूल के बादल ने सूर्य की किरणों को पृथ्वी तक पहुंचने से रोक दिया, जिससे पृथ्वी का तापमान तेजी से गिर गया.
इस अंधेरे और ठंडे वातावरण में पौधे मर गए और खाद्य श्रृंखला पूरी तरह से ध्वस्त हो गई. डायनासोर सहित पृथ्वी पर रहने वाले अधिकांश जीव इस जलवायु परिवर्तन को सहन नहीं कर पाए और विलुप्त हो गए.
वैज्ञानिकों ने इस घटना के कई सबूत खोजे हैं. मेक्सिको के युकाटन प्रायद्वीप में एक विशाल गड्ढा मिला है जिसे चिक्सुलब क्रेटर कहा जाता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह गड्ढा उसी उल्कापिंड के टकराने से बना था जिसने डायनासोरों को खत्म किया था.
इसके अलावा पृथ्वी की चट्टानों में इरिडियम नामक एक दुर्लभ तत्व की एक पतली परत मिली है. यह परत उसी समय की है जब डायनासोर विलुप्त हुए थे. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह इरिडियम उल्कापिंड के साथ पृथ्वी पर आया था.
फॉसिल रिकॉर्ड से पता चलता है कि डायनासोरों के विलुप्त होने के बाद पृथ्वी पर नए प्रकार के जीवों का विकास हुआ था. हालांकि उल्कापिंड का टकराना डायनासोरों के विलुप्त होने का सबसे प्रमुख कारण माना जाता है, लेकिन कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि अन्य कारक भी इस घटना में शामिल थे. जैसे कि ज्वालामुखी विस्फोट, जलवायु परिवर्तन आदि.
डायनासोरों के विलुप्त होने की घटना हमें यह बताती है कि पृथ्वी पर जीवन कितना नाजुक है. छोटी सी घटना भी पूरे पारिस्थितिक तंत्र को तबाह कर सकती है.