डायनासोर से भी पहले धरती पर रहते थे ये जीव, वैज्ञानिकों ने ढूंढ निकाला सबूत
लेकिन राजस्थान के जैसलमेर जिले के मेघा गांव में एक ऐतिहासिक खोज ने वैज्ञानिकों और पुरातत्वविदों को उत्साहित कर दिया है. यहां एक तालाब के किनारे 20 करोड़ साल पुराना फाइटोसॉरस प्रजाति का जीवाश्म मिला है, जो डायनासोर युग से भी पुराना माना जा रहा है.
यह भारत में अपनी तरह का पहला फाइटोसॉरस जीवाश्म है ये खोज ना केवल जैसलमेर की ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहन में एक नया अध्याय जोड़ेगी बल्कि भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पुराजीव विज्ञान की दुनिया में नई पहचान दिला सकती है.
जैसलमेर के फतेहगढ़ उपखंड में मेघा गांव के हरपाल तालाब के पास यह खोज 21 अगस्त 2025 को हुई. जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर के भूविज्ञान विभाग के प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह परिहार और भूवैज्ञानिक डॉ. नारायण दास इंखिया की टीम ने इस जीवाश्म की पहचान की.
यह जीवाश्म फाइटोसॉरस नामक प्राचीन सरीसृप का है जो जुरासिक काल से भी पहले नदियों और जंगलों में पाया जाता था. इसकी लंबाई डेढ़ से दो मीटर थी और यह मगरमच्छ जैसा दिखता था.
फाइटोसॉरस मुख्य रूप से मछलियां खाता था और नदी के पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था.
जैसलमेर में पहले भी डायनासोर के जीवाश्म, पदचिह्न और अंडे मिल चुके हैं. 2018 में थारोसोरस इंडिकस नामक शाकाहारी डायनासोर के अवशेष मिले थे, जो 16.6 करोड़ साल पुराने थे. मेघा गांव की यह नई खोज इस क्षेत्र को डायनासोर और प्राचीन सरीसृपों का केंद्र साबित करती है.
वैज्ञानिकों की टीम अब इसकी जांच और खुदाी करेगी जिससे पूरे स्केलेटन को बाहर निकालकर उसके बारे में और जानकारी प्राप्त की जा सके. इससे पता चलेगा कि ये किस प्रजाति का है और कितने वर्ष पुराना है.