नदियों के मिलने को संगम कहते हैं, दो समुद्रों के मिलन को क्या कहा जाता है?
भारत के प्रयागराज में तीन नदियों का मिलन होता है, जिस स्थान को हम संगम कहते हैं. इन नदियों में गंगा, यमुना और सरस्वती हैं. हालांकि सरस्वती अब विलुप्त हो चुकी है. प्रयागराज को तीर्थराज भी कहा जाता है, क्योंकि यह श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है
ऐसे ही उत्तराखंड के देवप्रयाग में भी संगम है. जहां पर दो नदियों के मिलने से गंगा बनती हैं. दरअसल देवप्रयाग में अलकनंदा और भागीरथी के मिलने से गंगा बनती है.
इतना ही नहीं भारत में एक जगह ऐसी भी है, जहां पर दो-तीन नहीं बल्कि पांच नदियों का संगम होता है. बता दें कि इस स्थान को पचनद के नाम से जाना जाता है, जो जालौन और इटावा की सीमा पर स्थित है.
बता दें कि पचनद में यमुना, चंबल, सिंध, कुंवारी और पहज नदियों का मिलन होता है. पचनद को महा तीर्थराज के नाम से भी जाना जाता है और हर साल यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. ये अनोखी जगह है, क्योंकि इस प्रकार का संगम बहुत ही कम देखने को मिलता है.
भारत में समुद्र का मिलन नहीं होता है. लेकिन जिन जगहों पर समुद्र का मिलन होता है, उसे भी संगम ही कहते हैं. संगम का अर्थ ही मिलन होता है.