गांधी जी ने क्यों दी थी 40 कुत्तों को मारने पर सहमति? जानें अनकहा किस्सा
सत्य और अहिंसा के पुजारी गांधीजी एक ऐसा नाम हैं जो कि दुनियाभर में शांति, सादगी और इंसानियत के लिए एक मिसाल हैं. महात्मा गांधी ने अपने जीवन में शायद ही कभी हिंसा का रास्ता चुना हो.
चाहे आजादी की लड़ाई हो या फिर समाज में बदलाव की जंग, उन्होंने हमेशा ही सत्य और अहिंसा को अपना हथियार बनाया. उनका कहना था कि अहिंसा से ही स्थाई जीत मिलती है. लेकिन फिर गांधीजी ने 60 कुत्तों को मारने की बात क्यों कही थी.
दरअसल महात्मा गांधी ने 60 ऐसे कुत्तों को मारने की बात कही थी, जो कि पागल हो गए थे. जब उनके इस आदेश पर सवाल उठाया गया तो उन्होंने इसका जवाब भी दिया था कि अहिंसा की बात करने के बावजूद उन्होंने ऐसा फैसला क्यों किया.
दरअसल यह वाकया 1926 का है. अंबालाल साराभाई जो कि टेक्सटाइल के कारोबारी थे, उनकी मिल में 60 कुत्ते पागल हो गए थे. उन कुत्तों से लोगों को जान का खतरा था.
तब साराभाई ने उन कुत्तों को मारने का आदेश दिया था. जब उनकी इस बात पर सवाल उठे तो साराभाई ने महात्मा गांधी से राय लेना उचित समझा. तब वे महात्मा गांधी से मिलने के लिए साबरमती आश्रम गए थे.
जब महात्मा गांधी को पूरी स्थिति के बारे में पता चला तो उन्होंने अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि इस बारे में कोई दोराय नहीं है कि हिंदुओं में किसी भी जीव हत्या को पाप मानता है. लेकिन जब इसे व्यवहार में लाना हो तब समस्या होती है.
एक पागल कुत्ते को मारना न्यूनतम हिंसा है. अगर कोई जंगल में रहता है तो वह हिंसा नहीं करेगा, लेकिन अगर कोई शहर में रहता है तो उसके लिए अहिंसा का सिद्धांत विरोधाभास की स्थिति होगी. क्योंकि शहर में रहने वाले लोगों की रक्षा की भी बात होती है. अगर वह कुत्ते को मारता है, तो पाप होगा, लेकिन अगर नहीं मारा तो उससे भी ज्यादा पाप होगा.