Shah Jahan Cut Arms of Labourers: ताजमहल बनवाने के बाद क्या शाहजहां ने वाकई कटवा दिए थे मजदूरों के हाथ, हकीकत में क्या हुआ था? जान लीजिए इतिहास
इतिहास में शाहजहां का नाम कई महिलाओं के साथ जोड़ा जा चुका है, लेकिन कहा जाता है कि शाहजहां सबसे ज्यादा प्यार सिर्फ मुमताज महल से करते थे. ताजमहल को उन्होंने मुमताज की याद में ही बनवाया था.
मुमताज से न सिर्फ शाहजहां बहुत प्यार करते थे, बल्कि राजपाट में भी मुमताज पर उसी तरीके से निर्भर रहते थे. शाहजहां के गद्दी संभालने के चार साल के बाद ही मुमताज का निधन हो गया था, नहीं तो मुगल सिंहासन पर उसका प्रभाव और ज्यादा देखने को मिलता.
शाहजहां के दरबारी और इतिहासकार इनायत खां ने अपनी किताब में लिखा है कि मुमताज ने अपने अंतिम क्षणों में शाहजहां से वादा करवाया था कि उन्होंने सपने में ऐसा सुंदर महल और बाग देखे हैं जो कि इस दुनिया में कहीं नहीं हैं. उन्होंने शाहजहां से गुजारिश की कि वो उनकी याद में वैसा ही मकबरा बनवाएंगे.
17 जून 1631 को मुमताज अपने 14वें बच्चे को जन्म देते वक्त मर गई थीं. उनका लेबर पेन 30 घंटे चला था. इसके बाद ताजमहल को बनवाने की कवायद शुरू हुई. ताजमहल को 1560 के दशक में हुमायूं के मकबरे की तर्ज पर बनाया गया था. इसके लिए 42 एकड़ जमीन चुनी गई थी. इसके चारों ओर की मीनारें 139 फीट ऊंची थीं.
ताजमहल में लगने वाले मार्बल को 200 मील दूर राजस्थान के मकराना से मंगवाया गया था. ताजमहल में लगने वाले संगमरमर के कुछ टुकड़े इतने बड़े थे कि उनको बैलों और भैंसों के जरिए आगरा पहुंचाया गया था. इस बैलगाड़ी को करीब 25-30 मवेशी खींचते थे.
ताजमहल का हर गाइड आज भी वो किस्सा बताते नहीं थकता है कि इसको बनवाने के बाद शाहजहां ने मजदूरों के हाथ कटवा दिए थे. लेकिन इसका जिक्र इतिहास में कहीं पर भी नहीं मिलता है, न ही इसके कोई साक्ष्य मिलते हैं.
हालांकि कारीगरों के हाथ कटवाने को लेकर एक और किस्सा कहा जाता है. माना जाता है कि शाहजहां ने कारीगरों के हाथ नहीं कटवाए थे, बल्कि उनको जिंदगी भर का वेतन दे दिया था और बदले में उनसे ताउम्र काम न करने का वादा लिया था.