भाई की कलाई पर बहन ही क्यों बांधती है राखी, जानें क्यों मनाया जाता है रक्षाबंधन?
रक्षाबंधन भाई-बहन के अटूट प्रेम का त्योहार इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र यानी राखी बांधती हैं और रक्षा का वादा लेती हैं. भाई भी बहन को आजीवन रक्षा का वचन देते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि रक्षाबंधन की शुरुआत कब से हुई? क्या है इसका महत्व?
रक्षाबंधन को लेकर वैसे कई पौराणिक कथाएं हैं, लेकिन एक कथा महाभारत काल से जुड़ी है. द्रौपदी और भगवान श्री कृष्ण की.
पौराणिक कथा के अनुसार, शिशुपाल के वध के समय जब भगवान कृष्ण ने सुदर्शन चक्र चलाया तो उनकी उंगली कट गई.
द्रौपदी ने जब यह देखा तो फौरन अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर भगवान कृष्ण की उंगली में बांध दी. द्रौपदी के इस भाव से भगवान बहुत प्रसन्न हुए और उसे आजीवन रक्षा का वचन दिया.
भागवान कृष्ण ने द्रौपदी से कहा कि मैं तुम्हें वचन देता हूं. भविष्य में जब भी तुम्हें मेरी मदद की जरूरत पड़ेगी तुम मुझे याद करना. मैं फौरन तुम्हारी मदद के लिए वहां उपस्थित हो जाऊंगा.
मान्यता है कि इस वचन के कारण ही भरी सभा में जब द्रौपदी की लाज किसी ने नहीं बचाई तो उसने कृष्ण को याद किया और भगवान ने तुरंत प्रकट होकर द्रौपदी की लाज बचाकर द्रौपदी की रक्षा की. तभी से ये प्रथा चली आ रही है.
बता दें कि रक्षाबंधन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. इस बार रक्षाबंधन 9 अगस्त दिन यानी शनिवार को पड़ रहा है. 9 अगस्त से सुबह 5 बजकर 47 मिनट से दोपहर 1 बजकर 24 मिनट तक राखी बांधने का शुभ मुहूर्त है. इसके बाद पूर्णिमा समाप्त हो जाएगी.