एक दिन में 2 हजार अंडे तक देती है रानी मधुमक्खी, जानिए क्यों होती है खास
इसी से निर्धारित होता है कि वो आगे चलकर मेहनतकश मधुमक्खी बनेंगे या नहीं. इनका काम भोजन जुटाना और लार्वा को पालना-पोसना होता है.
वहीं इसके उलट जो लार्वा रॉयल जेली खाते हैं उनमें प्रजनन क्षमता विकसित होती है और वो आगे चलकर रानी मधुमक्खी बन जाती है.
मधुमक्खी में रानी का काम अंडे देना होता है. जो एक दिन में लगभग 2 हजार अंडे देती है. वहीं मादा श्रमिक मधुमक्खी कॉलोनी की देखभाल करती हैं और नर, जिन्हें ड्रोन भी कहा जाता है.
आमतौर पर अमृत या पराग इकट्ठा करने, छत्ते की सुरक्षा और रखरखाव करने या युवा लार्वा की देखभाल करने में मदद नहीं करते हैं. ये सभी काम मादा करती हैं.
हमारी तरह मधुमक्खी रानियां अपने कार्यकर्ताओं का नेतृत्व नहीं करतीं. बल्कि कर्मचारी मधुमक्खियां छत्ते का प्रबंधन करते हुए रानी मधुमक्खी की देखभाल करती हैं. रानी मधुमक्खियांं कुछ सालों तक जिंदा रह सकती हैं जबकि श्रमिक मधुमक्खी की उम्र इतनी नहीं होती.