Pollution Is Damaging Red Fort: प्रदूषण से काला हो रहा लाल किला, जानें दिल्ली के इस किले पर सबसे पहले चढ़ाया गया था कौन सा रंग
हाल ही में यूनेस्को की एक रिपोर्ट ने चौंकाने वाले तथ्य सामने रखे हैं. इसमें बताया गया है कि किले की लाल बलुआ पत्थर की दीवारों पर मोटी काली परत जम चुकी है. यह परत केवल दीवारों की खूबसूरती को ही नहीं ढक रही, बल्कि पत्थर की सतह को नुकसान पहुंचा रही है.
रिपोर्ट के मुताबिक, जहां-जहां गाड़ियों का ट्रैफिक ज्यादा है, वहां यह परत और गहरी पाई गई है. शोध में यह भी पाया गया है कि इन परतों में हानिकारक रसायन और भारी धातुएं मौजूद हैं. ये तत्व वाहनों और औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले धुएं से बनते हैं. ऐसे में लाल किले की नक्काशी और बारीक कलाकारी पर भी असर पड़ने लगा है.
बहुत कम लोग जानते हैं कि यह किला शुरू से लाल नहीं था, जब मुगल बादशाह शाहजहां ने 1638 में इसका निर्माण शुरू करवाया, तब इसे सफेद चूने के पत्थरों और संगमरमर से सजाया गया था.
उस दौर में यह किला चमचमाता हुआ सफेद दिखाई देता था और इसकी भव्यता दूर से ही लोगों को आकर्षित करती थी. समय बीतने के साथ किले की दीवारों पर चढ़ी सफेद चूने की परत कमजोर होने लगी.
नमी और मौसम के असर से पत्थर जर्जर हो गए. स्थिति यह हो गई कि किले का असली रूप धीरे-धीरे फीका पड़ने लगा. 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों ने जब किले पर कब्जा जमाया, तब उन्होंने इसकी मरम्मत करवाई.
इसी दौरान एक ऐतिहासिक बदलाव हुआ और किले की दीवारों पर लाल रंग चढ़ा दिया गया. इतिहासकार बताते हैं कि अंग्रेजों ने यह कदम केवल संरक्षण के लिए नहीं उठाया, बल्कि लाल रंग पत्थरों को मजबूती तो देता ही था, साथ ही यह ब्रिटिश सत्ता और ताकत का प्रतीक भी माना जाता था.
अंग्रेजों ने इस रंग का इस्तेमाल अपनी शक्ति और प्रभुत्व दिखाने के लिए किया. इस तरह सफेद से लाल हुआ किला, लोगों की नजरों में हमेशा के लिए लाल किला कहलाने लगा.