PM 2.5 या फिर पीएम 10, जान लीजिए कौन सा है आपके लिए ज्यादा खतरनाक
पीएम का मतलब पार्टिकुलेट मैटर होता है. ये हवा में मौजूद सूक्ष्म कण होते हैं जो विभिन्न स्रोतों जैसे कि वाहनों, उद्योगों और निर्माण गतिविधियों से निकलते हैं. इन कणों का आकार माइक्रोमीटर में मापा जाता है.
पीएम 2.5, ये कण इतने छोटे होते हैं कि ये सीधे हमारे फेफड़ों में प्रवेश कर सकते हैं और यहां तक कि रक्त प्रवाह में भी मिल सकते हैं. वहीं पीएम 10, ये कण पीएम 2.5 से थोड़े बड़े होते हैं और ये मुख्य रूप से नाक और गले में फंस जाते हैं.
हालांकि दोनों ही प्रकार के कण श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं और अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और दमा जैसी बीमारियों को बढ़ावा देते हैं. पीएम 2.5 और पीएम 10 हृदय रोगों के खतरे को बढ़ा सकते हैं. ये कण रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं और रक्तचाप बढ़ाते हैं.
कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से फेफड़ों का कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है. इन कणों से आंखों में जलन, त्वचा में एलर्जी और प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर होने जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं.
पीएम 2.5, पीएम 10 की तुलना में ज्यादा खतरनाक माना जाता है क्योंकि पीएम 2.5 के कण इतने छोटे होते हैं कि ये फेफड़ों के सबसे गहरे हिस्से तक पहुंच जाते हैं और शरीर में आसानी से अवशोषित हो जाते हैं. पीएम 2.5 में कई तरह के हानिकारक पदार्थ होते हैं जो शरीर को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं.