इतनी भीड़ के बाद भी पैसेंजर ट्रेन में क्यों नहीं बढ़ाते डिब्बे, क्या इसके पीछे की वजह?
ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि इतनी भीड़ होने के बाद भी पैसेंजर ट्रेन के कोचेस को क्यों नहीं बढ़ाया जाता या फिर पैसेंजर ट्रेन में भी मालगाड़ी की तरह ही 60 डिब्बे क्यों नहीं बनाए जाते?
दरअसल, भारत में एक पैसेंजर ट्रेन में 24 डिब्बे होते हैं. पैसेंजर ट्रेन के हर एक डिब्बे की लंबाई 25 मीटर होती है यानी ट्रेन की कुल लंबाई 600 मीटर होती है.
इंडियन रेलवेज में लूप लाइन की लंबाई 650 मीटर होती है. ये वो लाइन होती है, जिसमें एक ही रूट से आने वाली दो ट्रेनों में से एक इस लाइन पर वेट करती है, जब तक कि दूसरी ट्रेन वहां से निकल न जाए.
ऐसे में अगर पैसेंजर ट्रेन की लंबाई 650 मीटर से ज्यादा होगी तो पैसेंजर ट्रेन इस लूप लाइन पर नहीं आ पाएगी. इसलिए सभी पैसेंजर ट्रेंस में 24 से ज्यादा डिब्बे नहीं रखे जाते हैं.
बात अगर मालगाड़ी की करें तो इसमें कुल 58 से 60 डिब्बे होते हैं. इनमें हर एक डिब्बे की लंबाई 10 से 15 मीटर ही होती है.
इतनी कम लंबाई होने के कारण इसमें ज्यादा से ज्यादा डिब्बे रखें जाते हैं और ये लूप लाइन से लंबी नहीं होती.
ऐसे में अगर देखा जाए तो पैसेंजर ट्रेन और मालगाड़ी दोनों की लंबाई में बराबर होती है, फर्क सिर्फ इतना है कि मालगाड़ी के कोचेस छोटे होते हैं जबकि पैसेंजर ट्रेन के डिब्बे कम होने के बावजूद भी लंबे होते हैं.