Human Body Identification: फिंगर प्रिंट नहीं इंसान के इस अंग का भी दुनिया में नहीं होता कोई मैच, हर किसी के पास होती है यूनीक
हर मानव जीभ में पैपिला, लकीरें और खांचे का एक खास पैटर्न होता है. यह पैटर्न जीवन भर स्थिर रहता है उंगलियों के निशान की ही तरह.
हर व्यक्ति की जीभ का आकार और सतह का पैटर्न कुछ जेनेटिक लक्षणों और पर्यावरणीय कारकों जैसे कि आहार और स्वास्थ्य स्थितियों से प्रभावित होता है. इसी वजह से हर जीभ की बनावट और आकर अलग होती है.
शोधकर्ताओं द्वारा ऐसा बायोमेट्रिक सिस्टम विकसित किया जा रहा है जो जीभ के 3d स्कैन का इस्तेमाल करता है. क्योंकि यह मुंह के अंदर सुरक्षित रहती है इसलिए उंगलियों के निशान या फिर चेहरे के स्कैन की तुलना में यह ज्यादा सुरक्षित और सटीक है.
फॉरेंसिक में जीभ के निशान का इस्तेमाल व्यक्तियों की पहचान के लिए तब किया जाता है जब उंगलियों के निशान या फिर दांत के रिकॉर्ड मौजूद ना हों. जीभ की बनावट और रंग मौत के संभावित कारणों का पता लगाने में भी मदद कर सकते हैं.
वैसे तो जीभ की सतह पर कोशिकाओं का नियमित रीजेनरेशन होता रहता है लेकिन इसके बावजूद भी इसका समग्र पैटर्न बिना किसी बदलाव के ही रहता है.
जीभ का रंग, बनावट और नमी किसी व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति को बता सकती है. डिहाइड्रेशन और इंफेक्शन से लेकर जहर जैसी ज्यादा गंभीर हालातों तक जीभ का रंग बदल सकता है.