नए लेबर कोड में कैसे तय होगी ग्रेच्युटी, एक साल नौकरी करके छोड़ देंगे तो कितना पैसा मिलेगा?
केंद्र सरकार ने 29 पुराने लेबर लॉज को मिलाकर चार नए कोड लागू कर दिए हैं. इन कोड्स के आने से देश के करोड़ों कर्मचारियों की ग्रेच्युटी से जुड़ी व्यवस्था पूरी तरह बदल गई है. पहले जहां ग्रेच्युटी पाने के लिए 5 साल लगातार नौकरी करना अनिवार्य था, वहीं अब सिर्फ 1 साल की सेवा के बाद भी कर्मचारी इस सुविधा का हकदार होगा.
सबसे बड़ा बदलाव यही है कि अब किसी कंपनी में 12 महीने काम करने के बाद भी कर्मचारी ग्रेच्युटी ले सकता है. यह फैसला उन सभी वर्कर्स के लिए राहत है जो किसी प्रोजेक्ट या कॉन्ट्रैक्ट पर कम समय के लिए काम करते हैं.
पहले ग्रेच्युटी की टैक्स-फ्री लिमिट 10 लाख रुपये थी, जिसे बढ़ाकर अब 20 लाख रुपये कर दिया गया है. यानी कर्मचारी को मिल रही ग्रेच्युटी पर कोई टैक्स नहीं लगेगा और पूरी राशि उसके खाते में जाएगी.
एम्प्लॉयर को ग्रेच्युटी 30 दिनों के अंदर देना अनिवार्य होगा. अगर कंपनी देरी करती है, तो 10% सालाना ब्याज देना होगा. कई मामलों में कंपनसेशन भी दोगुना किया जा सकता है.
इसमें ओवरटाइम पे पहले से दोगुना हो जाएगा. हर 20 दिन नौकरी पर 1 दिन पेड लीव मिलेगी. ये सुविधाएं कर्मचारियों की लाइफ को आसान जरूर बनाएंगी, लेकिन कंपनियों के लिए खर्च और प्रक्रियाओं में बढ़ोतरी भी तय है.
1 साल नौकरी पर ग्रेच्युटी मिलने का फॉर्मूला वही है कि, ग्रेच्युटी = अंतिम बेसिक सैलरी × (15/26) × कुल सर्विस (साल में). यानि यदि किसी कर्मचारी की अंतिम बेसिक सैलरी 50,000 रुपये है और उसने केवल 1 साल काम किया है, तो 50,000 × (15/26) × 1 = 28,847 रुपये मिलेंगे.
यानी अब सिर्फ एक साल की नौकरी पर लगभग 28,800 रुपये तक ग्रेच्युटी मिल सकती है, जो कि कर्मचारियों के लिए भी अच्छा है.