Unclimbed Mountain Kailash: माउंट एवरेस्ट तो कैलाश से ज्यादा ऊंचा है, फिर यहां कोई चढ़ क्यों नहीं पाता?
कैलाश पर्वत हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और बॉन परंपराओं में काफी आध्यात्मिक महत्व रखता है. इसे भगवान शिव के निवास के रूप में पूजा जाता है. यही वजह है कि कैलाश पर चढ़ना अपवित्र माना जाता है और भारत और चीन दोनों ने ही धार्मिक भावनाओं के सम्मान में आधिकारिक तौर पर इस पर बैन लगाया हुआ है.
एवरेस्ट एक व्यावसायिक पर्वतारोहण केंद्र है, जबकि कैलाश पर्वत कड़े सांस्कृतिक संरक्षण नियमों के अंतर्गत संरक्षित है. इस क्षेत्र पर चीन का अधिकार है और उसने कभी भी पर्वतारोहण की अनुमति नहीं दी.
कैलाश का भूगोल अपने आप में एक प्राकृतिक दीवार है. एवरेस्ट पर चढ़ाई के लिए मार्ग और ढलानें निर्धारित हैं जबकि कैलाश चार लगभग लंबवत फलकों वाले एक पूरे सिमिट्रिकल पिरामिड की तरह ऊपर उठता है.
कैलाश क्षेत्र में साल भर अचानक बर्फीले तूफान, शून्य से नीचे का तापमान और तेज हवाएं चलती रहती हैं. यहां की खतरनाक बर्फबारी और अस्थिर सतहें इस पर चढ़ाई के प्रयास को जानलेवा बनाती है.
हर साल कैलाश पर्वत पर बर्फ की मोटी और भारी परतें जम जाती हैं और उसके पिरामिड जैसे किनारों से चिपक जाती है. इस वजह से गहरी दरारें बन जाती हैं. जिससे रस्सियों का इस्तेमाल या फिर सुरक्षित चढ़ाई मार्ग बनाना असंभव हो जाता है.
स्थानीय तिब्बती और हिमालयी समुदायों का कहना है कि पर्वत दैवीय शक्तियों द्वारा संरक्षित है और मानव आक्रमण से अछूता रहना चाहिए. वहां ऐसा माना जाता है कि कैलाश पर्वत पर चढ़ना आपदा को आमंत्रित करता है.