बच्चों के लिए अमृत पर बड़ों के लिए क्यों ‘जहर’ बन जाता है दूध, जानें क्या है इसका DNA कनेक्शन?
आपने अक्सर नोटिस किया होगा कि जिन वयस्कों को पेट में कोई दिक्कत होती है, जैसे कि ब्लोटिंग तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर्स ने हमेशा लोगों को दूध पीना या दूध की चाय लेने से मना किया है. कभी सोचा है कि आखिर इसकी वजह क्या है? चलिए यहां समझें.
दुनिया की करीब 75% वयस्क आबादी को ज्यादा दूध पीने में परेशानी होती है, जबकि बचपन में अधिकतर लोग दूध आसानी से पी लेते थे. आखिर ऐसा क्यों होता है? इसका जवाब है, लैक्टोज इनटॉलरेंस.
असल में, बचपन में लगभग सभी में दूध पीने की क्षमता होती है, क्योंकि शरीर एक खास एंजाइम, लैक्टेज बनाता है. यह एंजाइम दूध में मौजूद लैक्टोज नामक शर्करा को तोड़कर हमारे शरीर के लिए उपयोगी ऊर्जा में बदल देता है. यही वजह है कि बच्चे दूध पीकर आसानी से पोषण प्राप्त कर सकते हैं.
लेकिन समय के साथ, अधिकांश लोगों में यह क्षमता कम होने लगती है. कुछ लोग 3 साल की उम्र में, कुछ 20 साल की उम्र के बाद और कुछ बहुत लंबे समय तक दूध नहीं पी सकते हैं, जबकि कुछ लोग कभी भी इस क्षमता को नहीं खोते हैं.
जिन लोगों के पास यह लैक्टेज जीन बचपन में सक्रिय होता है, वे बच्चों की तरह दूध पी सकते हैं, लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, यह क्षमता धीमे-धीमे कम हो जाती है. जो लोग बड़े होकर भी दूध पी सकते हैं, उनके शरीर में एक विशेष डीएनए म्यूटेशन पाया गया है.
इसे वैज्ञानिकों ने Lactase Persistence नाम दिया है. इसका मतलब है कि उनके शरीर में लैक्टेज बनता रहता है और लैक्टोज को पचाना आसान होता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह एक प्राकृतिक विकास की प्रक्रिया है.
जिन इंसानों ने डेयरी प्रोडक्ट्स का उपयोग अधिक किया, वहां इस जीन का म्यूटेशन ज्यादा पाया गया, जबकि जिन लोगों में दूध पीने की आदत नहीं थी, वहां ज्यादातर लोग वयस्क होने के बाद दूध नहीं पचा पाए.