प्रेग्नेंसी से बचने के लिए महिलाओं को क्यों दी जाती थी मोती की माला? हैरान रह जाएंगे आप
क्या आप जानते हैं कि एक समय में प्रेग्नेंसी से बचने के लिए महिलाओं को मोतियों की माला दी जाती थी. अब आप सोच रहे होंगे कि मोतियों की माला से भला परिवार नियोजन कैसे हो सकता है? चलिए आपको बताते हैं.
एक समय में महिलाओं को मोतियों की माला दी जाती थी, जिससे वह अनचाही प्रेग्नेंसी से बच सकती थीं. यह तरीका इतना कारगर था कि 100 में से 95 महिलाएं बेहतर तरीके से परिवार नियोजन में कामयाब रहती थीं.
दरअसल, 'माला चक्र विधि' परिवार नियोजन का काफी पुराना तरीका था, जिसमें महिलाओं को एक माला दी जाती थी, जिसमें तीन रंग के मोती होते थे और हर रंग के मोती की खास अहमियत होती थी.
यह माला चक्र महिलाओं को उन दिनों की पहचान कराता था जिसमें प्रेग्नेंसी के चांस सबसे ज्यादा होते थे. इन दिनों में महिला और पुरुष को संबंध बनाने से परहेज करने को कहा जाता था.
माला चक्र उन दिनों की भी पहचान करता था, जिसमें गर्भ ठहरने का डर नहीं होता था. यानी दिनों में अगर असुरक्षित संबंध बनाए जाएं तो गर्भ ठहरने के चांस न के बराबर होते हैं.
माला चक्र में एक लाल रंग को मोती होता है, जो माहवारी (पीरियड्स) के पहले दिन की पहचान कराता है. इसके बाद कुछ भूरे रंग के मोती होते हैं, जो यह बताते हैं कि इन दिनों में गर्भ ठहरने का डर नहीं होता है.
भूरे मोती के बाद सफेद मोती होते हैं, जिनका मतलब होता है कि इन दिनों संबंध बनाने से गर्भ ठहर सकता है. इस माला में एक गाढ़ा भूरा मोती भी होता है, जो आपको यह बताने में मदद करता है कि आपका चक्र 26 दिनों से कम तो नहीं है. इसमें कुल 32 मोती होते हैं.