जब पता है खराब है तो क्यों लग जाती है शराब की लत, बॉडी में हो रहे केमिकल लोचे को कितना जानते हैं आप?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट बताती है कि हर साल 26 लाख मौतें शराब के सेवन के कारण होती हैं. भारत में 30 प्रतिशत से ज्यादा की आबादी अल्कोहल का सेवन करती है.
शराब पीने से मस्तिष्क में डोपामाइन नामक हार्मोन सक्रिय होता है जिसे हैप्पी हार्मोन भी कहा जाता है. जिससे व्यक्ति को शांति या उत्साह का अहसास होता है.
बार-बार शराब पीने से दिमाग इस डोपामाइन की आदी हो जाता है. धीरे-धीरे सामान्य खुशी के लिए भी व्यक्ति को शराब की जरूरत पड़ने लगती है. यह एक तरह का केमिकल लोचा है, जो दिमाग के रिवॉर्ड सिस्टम को बिगाड़ देता है.
शराब का सेवन शारीरिक और मानसिक दोनों स्तरों पर असर डालता है. पेट से पहुंचकर ये आपके मस्तिष्क के संचार मार्गों में बाधा डालता है और आपके मस्तिष्क के काम करने के तरीके को प्रभावित कर सकता है.
शराब अक्सर सामाजिक समारोहों का हिस्सा बन जाती है, जिससे इसे छोड़ना चुनौतीपूर्ण हो जाता है. एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति शराब के बिना सामान्य जीवन जीने में असमर्थ हो जाता है.
यह सिर्फ आदत नहीं, बल्कि एक जटिल बीमारी है जो दिमाग और शरीर दोनों को प्रभावित करती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में लाखों लोग इस लत का शिकार हैं और इसके सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य पर गंभीर परिणाम हो रहे हैं.
शराब की लत के प्रभाव गंभीर हैं. यह लीवर सिरोसिस, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है. इसके सेवन से मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है जैसे डिप्रेशन और एंग्जाइटी.