जानिए किस देश के झंडे पर है मंदिर की तस्वीर, जानें इसके पीछे का कारण
जानकारी के मुताबिक कंबोडिया एक जमाने में हिंदू राष्ट्र था, जो बाद में बौद्ध देश में तब्दील हो गया. बता दें कि राष्ट्रीय ध्वज 1989 में स्वीकार किया और 1993 में सरकार की ओर से इसे पूरी मंजूरी मिल गई थी.
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के मुताबिक ये मंदिर दुनिया की सबसे बड़ी धार्मिक संरचना है. जानकारी के मुताबिक राजा सूर्यवर्मन द्वितीय द्वारा बनवाया गया ये मंदिर मूलरूप से भगवान विष्णु को समर्पित था. 12वीं सदी के दौरान ये धीरे-धीरे एक बौद्ध मंदिर में तब्दील हो गया. इसे हिंदू-बौद्ध मंदिर के रूप में भी वर्णित किया जाता है.
जानकारी के मुताबिक इस मंदिर को बनने में 28 साल लग गए थे. दिवाकर पंडित नाम के ब्राह्मण के आग्रह पर राजा सूर्यवर्मन द्वितीय ने ये मंदिर बनवाना शुरू किया था. कहा जाता है कि राजा की मृत्यु के तुरंत बाद काम रूक गया था, जिसके कारण मंदिर की फिनिशिंग और सजावट अधूरी रह गई थी.
लेकिन बाद में नए राजा जयवर्मन सप्तम ने इसके काम को बहाल किया था. लेकिन इस बीच कंबोडिया में बौद्ध धर्म फैलने लगा और राजा ने उस धर्म को अपना लिया था. फिर अंगकोर वाट को भी धीरे-धीरे बौद्ध स्थल में परिवर्तित कर दिया गया. कई हिंदू मूर्तियों का स्थान बौद्ध कला ने ले लिया है.
यूएस एंबेसी इन कंबोडिया की आधिकारिक वेबसाइट पर छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, कंबोडिया की मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर एंड रिलीजन के अनुसार इस देश में 93 फीसदी बुद्धिस्ट लोग है. जबकि बाकि के सात परसेंट में ईसाई, मुस्लिम, एनिमिस्ट्स, बहाई, ज्यूस और Cao Dai धर्म को मानने वाले लोग हैं. यानी अगर आधिकारिक रूप से देखें तो इस देश के आंकड़े में हिंदुओं का कोई जिक्र नहीं है.