खास लोगों के स्वागत के लिए रेड कार्पेट ही क्यों बिछाया जाता है, नीला या पीला क्यों नहीं?
अलास्का में 15 अगस्त 2025 को हुई बैठक में रेड कार्पेट का उपयोग रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के स्वागत के लिए किया गया. जो अमेरिका द्वारा औपचारिक और गर्मजोशी भरे रुख को दर्शाता है.
रेड कार्पेट के इतिहास की बात करें तो इसका उपयोग प्राचीन यूनान और रोमन सभ्यताओं में देखा जा सकता है. यूनानी नाटक एगामेमन में, राजा एगामेमन का स्वागत लाल कालीन पर किया गया था. जो उस समय शाही सम्मान का प्रतीक था.
रेड कार्पेट ग्रीस से होता हुआ अन्य देशों तक पहुंचा आधिकारिक तौर पर सबसे पहले रेड कार्पेट का इस्तेमाल 1821 में तत्कालीन राष्ट्रपति जेम्स मॉरोय के स्वागत में बिछाया गया था.
लाल रंग को धन, शक्ति और प्रतिष्ठा से जोड़ा जाता था, क्योंकि लाल रंग के कपड़े और कालीन बनाना महंगा और श्रमसाध्य था.
19वीं और 20वीं सदी में रेड कार्पेट का उपयोग औपचारिक स्वागत समारोहों विशेष रूप से राजनयिक और शाही आयोजनों में आम हो गया. 20वीं सदी में, हॉलीवुड और अन्य मनोरंजन उद्योगों ने इसे पुरस्कार समारोहों (जैसे ऑस्कर) के लिए लोकप्रिय बनाया, जिससे यह वैश्विक स्तर पर प्रसिद्धि और ग्लैमर का प्रतीक बन गया.
भारत की बात करें तो कहा जाता है कि इसका इस्तेमाल 1911 में दिल्ली दरबार में हुआ था. जब तत्कालीन वॉयसरॉय लॉर्ड हार्डिंगे ने किंग जॉर्ज वी के लिए यह बिछवाया था. यह दरबार लाल किले में लगा था.
अब विश्व नेताओं और गणमान्य व्यक्तियों के स्वागत में रेड कार्पेट का उपयोग एक परंपरा है, जो मेजबान देश द्वारा मेहमान के प्रति सम्मान और मित्रता को दर्शाता है. इसके साथ ही शादी विवाह में भी रेड कार्पेट बिछाने का चलन है.