Kashmiri Saffron: कश्मीर के केसर का ईरान से है सीधा संबंध, जानें इस लाल सोने के ईरानी कनेक्शन के बारे में
कश्मीरी केसर क्रॉकस सैटिवस फूलों से निकलता है. हर फूल से तीन लाल नारंगी कलंक निकलते हैं. इन्हें केसर बनाने के लिए काफी ज्यादा सावधानी से हाथ से तोड़ा जाता है और सुखाया जाता है. 1 किलो केसर बनाने के लिए लगभग डेढ़ लाख फूलों की जरूरत होती है.
कश्मीरी केसर अपने गहरे लाल रंग, तेज खुशबू और भरपूर स्वाद के लिए पहचाना जाता है. ईरान, स्पेन या ग्रीस में उगाए जाने वाले केसर की तुलना में कश्मीरी केसर सबसे मीठा और देखने में सबसे खूबसूरत माना जाता है.
पुलवामा जिले का पंपोर क्षेत्र कश्मीर में केसर की खेती का एक बड़ा केंद्र है. 4500 हजार हेक्टेयर में फैले इस क्षेत्र में सालाना 4-5 टन केसर का उत्पादन होता है.
कश्मीर में केसर की खेती कई चुनौतियों का सामना करती है. कभी जलवायु परिवर्तन, कम वर्षा और कभी कभार होने वाली हिंसा फसल की पैदावार को प्रभावित करती है. भारत सरकार ने 2020 में कश्मीरी केसर को भौगोलिक संकेत टैग प्रदान किया.
आपको बता दें कि दुनिया का 80% केसर ईरान से आता है. लेकिन कश्मीरी केसर की मांग और कीमत काफी ज्यादा है. अमेरिका, यूरोप, कनाडा और खाड़ी देशों में तो इसकी कीमत $5000 प्रति पाउंड तक पहुंच जाती है.
कश्मीर के केसर का ईरान से सीधा ऐतिहासिक संबंध है. दरअसल ईरानी सूफी संतों ने सदियों पहले इस जगह पर केसर की फसल की शुरुआत की थी. ईरान दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक बना हुआ है जहां सालाना 300 टन केसर की खेती होती है. हालांकि कश्मीरी केसर अपनी शुद्धता और बाकी वजहों से ईरानी केसर से 60% से 75% ज्यादा महंगा होता है.