कारगिल युद्ध में बोफोर्स तोप के कितने गोले रोजाना होते थे फायर? जान लें पूरा आंकड़ा
कारगिल के युद्ध में सेना के सभी जवानों ने वीरता और जांबाजी का परिचय तो दिया ही था, क्योंकि उस वक्त यह लड़ाई करीब 17,000 फीट की ऊंचाई और -10 से -20 डिग्री सेल्सियस तापमान में लड़ी गई थी. यहां की चोटियों तक पहुंचने में सैनिकों को बहुत मुश्किल का सामना करना पड़ा था.
ज्यादा ऊंचाई होने की वजह से सैनिकों को ऑक्सीजन की कमी का सामना भी करना पड़ा था. इस जंग में सैनिकों के पास गोला-बारूद तो थे, लेकिन दुश्मन इतनी ज्यादा ऊंचाई पर बैठा था और हमारे सैनिक नीचे की तरफ थे.
ऐसे वक्त में सैनिकों को कुछ ऐसा हथियार चाहिए था, जो कि दुश्मन तक सटीक निशाना लगा सके. यहीं पर बोफोर्स तोप काम आई थी. इस तोप को ट्रकों और हेलीकॉप्टर के जरिए ऊंचाई तक पहुंचाया गया था.
इसके बाद तो बोफोर्स ने जो कहर मचाया कि पाकिस्तानी सेना सिर पर पैर रखकर भाग खड़ी हुई. बोफोर्स एक फारी तोप थी, जो कि दुश्मनों पर सटीक निशाना लगाकर हमला करती थी. उस वक्त इसे स्वीडन से खरीदा गया था.
यह 155 MM की तोप है, जो कि करीब 30 किलोमीटर की दूरी तक एकदम सटीक निशाने पर मार सकती है. बोफोर्स को पहली बार कारगिल में ही युद्ध में उतारा गया है, जिसने दुश्मन की हालत खस्ता कर दी थी.
उस वक्त आर्मी ने बोफोर्स तोप की 4 रेजीमेंट यानि 72 तोपें लगाई थीं, जिन्होंने दिन-रात फायर करके भारत की जमीन से घुसपैठियों को खदेड़ा और जाने के लिए रास्ता बनाया.
बोफोर्स तोप 90 डिग्री तक 35 किलोमीटर तक मार कर रही थी और हर 12 सेकेंड में तीन गोले दाग रही थी. 155 एमएम की इस तोप ने कुल 69 हजार 800 गोले दागे थे. प्रत्येक दिन लगभग 5000 तोपखाने के गोले, मोर्टार बम और रॉकेट दागे जाते थे.