क्या सोडा सच में बदल देता है व्हिस्की का स्वाद? आखिर क्यों दोनों को मिलाकर पीते हैं लोग
व्हिस्की में लगभग 40 से 50 फीसदी तक अल्कोहल होता है. इतनी स्ट्रॉन्ग ड्रिंक सीधे पीना कई लोगों के लिए बहुत मुश्किल होता है. यह गले में जलन पैदा करती है और काफी हैवी लगती है.
सोडा इस जलन को कम करता है और ड्रिंक को रिफ्रेशिंग बनाता है. खासकर गर्मियों में जब इसे लोग सोडा के साथ पिया जाता है, तो इसका टेस्ट स्मूद हो जाता है और आसानी से पीने लायक हो जाती है.
इतिहास की मानें तो एक दौर ऐसा भी था, जब प्रीमियम व्हिस्की की बोतलें इतनी आम नहीं थीं. उस वक्त सोडा ही व्हिस्की के स्वाद को बदलने का सबसे आसान जरिया हुआ करता था.
यही वजह है कि सोडा मिलाकर व्हिस्की पीने का चलन पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है और आज भारत की ड्रिंकिंग कल्चर का अहम हिस्सा बन गया है. इसके पीछे साइंस भी है. व्हिस्की में कई तरह के एरोमैटिक कंपाउंड्स होते हैं.
जब इसमें सोडा या पानी मिलाया जाता है तो यह फ्लेवर खुलकर सामने आते हैं. यही वजह है कि व्हिस्की का असली स्वाद सोडा के साथ और भी बेहतरीन आता है. सोडा के साथ पीने पर नशा धीरे-धीरे चढ़ता है और हैंगओवर भी कम होता है.
इसको लेकर एक और महत्वपूर्ण पहलू स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है. सीधी व्हिस्की पीने से पेट में एसिडिटी और इरिटेशन की समस्या हो सकती है. एक्सपर्ट्स की मानें तो हार्ड अल्कोहल जीभ और गले के रिसेप्टर्स को सुन्न कर देती है, जिससे गले में जलन होती है.
यह लिवर के लिए भी नुकसानदायक साबित हो सकती है. सोडा इसे कुछ हद तक माइल्ड बना देता है और नुकसान कम करने में मदद करता है. हालांकि अल्कोहल किसी भी रूप में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है.