क्या रोज नहाना जरूरी है? शरीर से बदबू आने का क्या है साइंस या इसके बिना भी रह सकता है इंसान
बीबीसी की एक रिपोर्ट की मानें तो एक पर्यावरणविद दोनाचढ़ माकार्थी का कहना है कि रोज नहाना सिर्फ एक सामाजिक दस्तूर है. समाज में यह धारणा बन चुकी है कि जब तब आप नहाएंगे नहीं तब तक साफ नहीं होंगे और इससे शरीर की दुर्गंध हटती है.
समाज ने इसे मान लिया है और इसी आधार पर रोज नहाते हैं. अमेजन के जंगल में रहने यानोमामी नाम की जनजाति रहती है, जो कि नहाती नहीं है. एक दूसरे पर्यावरणविद् की मानें तो रोज नहाने से सेहत को कोई फायदा पहुंचता हो, इस बात के प्रमाण नहीं हैं.
डॉक्टर्स ऐसी सलाह देते हैं कि अगर आपकी स्किन ड्राई है और एग्जिमा जैसी बीमारी है तो रोज न नहाएं. रोज नहाने से आपके शरीर में चिपके असंख्य माइक्रो ऑर्गेनिज्म मर जाते हैं.
हालांकि रोज नहीं नहाने को लेकर अब तक जो भी बातें सामने आई हैं, वो पश्चिमी देशों के एक्सपर्ट की ओर से आई हैं और इसको लेकर कोई खास रिसर्च नहीं हुई है.
स्किन में लाखों गुड बैक्टीरिया त्वचा की रक्षा करते हैं, वहीं भारत जैसे देशों में शरीर पर पॉल्यूशन जल्दी चिपकता है, क्योंकि यहां ज्यादा प्रदूषण है. ऐसे में नहाना इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी स्किन में कितनी धूल चिपकती है.
नहीं नहानेसे शरीर से आने वाली बदबू की बात करें तो इसका मेन कारण त्वचा पर मौजूद पसीने के साथ बैक्टीरिया का मिलना होता है. ये बैक्टीरिया पसीने में मौजूद प्रोटीन को तोड़ते हैं, जिससे दुर्गंध आती है.
इसके अलावा अंडरआर्म्स और गुप्तांगों में एपोक्राइन ग्रंथियां पाई जाती हैं, जो कि पसीना पैदा करती हैं, ये पसीना बैक्टीरिया के साथ मिलकर दुर्गंध को बढ़ाता है. इसके अलावा मसालेदार खाना भी पसीने की दुर्गंध को प्रभावित करता है.