India Population: कब से बढ़नी बंद हो जाएगी भारत की जनसंख्या, इस पर कैसे लग जाएगा ब्रेक?
अंतरराष्ट्रीय जनसंख्या विशेषज्ञों और IASP के संयुक्त अध्ययन के मुताबिक भारत की आबादी वर्ष 2080 के आसपास अपने उच्चतम स्तर पर पहुंचकर रुक जाएगी.
इसका मतलब यह नहीं है कि अचानक जन्म दर शून्य हो जाएगी, बल्कि इसका मतलब यह है कि जितने लोग जन्म लेंगे, लगभग उतने ही लोग मृत्यु दर में शामिल होंगे, और कुल आबादी स्थिर रहने लगेगी. भारत की जनसंख्या उस समय 1.8 से 1.9 अरब के बीच रहने का अनुमान है.
आज की पीढ़ी ने परिवार के अर्थशास्त्र को पहले से कहीं अधिक समझा है. शहरों का महंगा जीवन, बढ़ती शिक्षा, नौकरियों में प्रतिस्पर्धा और जीवनशैली में बदलाव इन सबने मिलकर परिवारों का आकार छोटा कर दिया है.
साल 2000 में कुल प्रजनन दर 3.5 थी, यानी एक महिला औसतन तीन से अधिक बच्चे जन्म देती थी. आज यह दर 1.9 के आसपास पहुंच चुकी है. यह अपने आप में एक संकेत है कि लोग दो बच्चों तक सीमित हो रहे हैं और कई शहरी परिवार एक बच्चे पर ही रुक जा रहे हैं.
भारत में जहां एक तरफ आबादी स्थिर होना संसाधनों पर दबाव कम करेगा, वहीं पानी, ऊर्जा, भोजन, शिक्षा, रोजगार जैसी चुनौतियां कम होंगी. लेकिन दूसरी तरफ एक नई समस्या उभरेगी, जैसे- बढ़ती उम्र वाली आबादी.
जैसे-जैसे जन्म दर घटेगी, वृद्ध आबादी का प्रतिशत बढ़ने लगेगा. इससे आने वाले दशकों में वर्कफोर्स कम हो सकता है और पेंशन, स्वास्थ्य सेवाओं पर बड़ा दबाव बन सकता है. यह वह मोड़ है, जहां भारत को समय रहते तैयारी करनी होगी.
विशेषज्ञों की मानें तो हां यह संभव है. पहले जापान, फिर दक्षिण कोरिया और चीन ने यह दौर देखा है, जहां जनसंख्या स्थिर होने के बाद उलटी गिनती शुरू हो गई. भारत भी उसी राह पर चल सकता है, खासकर तब जबकि पढ़ी-लिखी और कामकाज वाली महिलाओं की संख्या बढ़ रही है और माता-पिता शिक्षा व करियर को प्राथमिकता दे रहे हैं.