दुनिया में भारत गोल्ड ज्वैलरी का सबसे बड़ा कंज्यूमर, दूसरे और तीसरे नंबर पर कौन?
रिपोर्ट्स की मानें तो सोने की ज्वैलरी में भारत का जलवा किसी से कम नहीं है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट्स बताती हैं कि 2024 में भारत की ज्वैलरी खपत लगभग 563.4 टन रही.
यह आंकड़ा यह साबित करता है कि सोना भारतीय संस्कृति, शादी-त्योहार और लंबी अवधि की बचत के लिए किस कदर महत्वपूर्ण है.
पिछले कई दशकों में भारत हमेशा सोने की मांग में बड़े खिलाड़ियों में रहा है, लेकिन 2024 में उसने चीन को पीछे छोड़ते हुए ज्वैलरी खपत में शीर्ष स्थान हासिल कर लिया. चीन की खपत उसी अवधि में लगभग 479.3 टन दर्ज की गई.
तीसरे नंबर पर अमेरिका है, जहां सोने की ज्वैलरी की खपत भी कम नहीं है. रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिकी खरीदार फैशन, निवेश और उपहार देने की वजह से सोने में रुचि रखते हैं, और उनकी सालाना खपत करीब 132 टन तक पहुंचती है.
सोने की मांग में यह बदलाव सिर्फ सांस्कृतिक रुझान का ही नहीं, बल्कि आर्थिक और निवेश-मोटिव का भी परिणाम है. भारत में शादी-त्योहार के समय सोने की मांग पहले से ज्यादा बढ़ जाती है. उच्च सोने की कीमतों, कम आयात शुल्क और इन्वेस्टमेंट की मांग ने भी हाल के वर्षों में सोना खरीदने वालों को आगे बढ़ाया है.
हालांकि, चीन में आर्थिक चुनौतियां और बदलता उपभोक्ता व्यवहार सोने की ज्वैलरी की मांग को प्रभावित कर रहा है. रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि चीन के उपभोक्ता अब पारंपरिक ज्वैलरी के बजाय बार, सिक्के या अन्य निवेश-उत्पादों की ओर रुख कर रहे हैं.
गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट की मानें तो ज्वैलरी खपत में बढ़ोतरी होने के बावजूद, सोना आज भी एक सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता है, विशेष रूप से उन देशों में जहां आर्थिक अस्थिरता अधिक है.