चाहकर भी इन अमेरिकी कंपनियों को भगा नहीं सकता भारत, हो जाएगा तगड़ा नुकसान
लेकिन सवाल यह है कि अगर भारत जवाबी कार्रवाई में अमेरिकी कंपनियों को निशाना बनाए, तो क्या होगा? तो भारत चाहकर भी इन अमेरिकी कंपनियों को भगा नहीं सकता क्योंकि ऐसा करने पर भट्ठा बैठ जाएगा.
भारत में सैकड़ों अमेरिकी कंपनियां कारोबार करती हैं, जिनमें से कई का प्रभाव इतना व्यापक है कि इन्हें हटाना भारत के लिए आत्मघाती हो सकता है.
डोमिनोज और स्टारबक्स जैसे ब्रांड्स ने भारतीय शहरों में अपनी मजबूत मौजूदगी बनाई है. इनके जाने से न केवल उपभोक्ता विकल्प सीमित होंगे, बल्कि हजारों छोटे व्यवसाय और आपूर्तिकर्ता भी प्रभावित होंगे.
वहीं गूगल और माइक्रोसॉफ्ट की क्लाउड सेवाएं और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर भारतीय स्टार्टअप्स और उद्यमों की रीढ़ हैं. अगर इन कंपनियों को बाहर किया गया तो भारत की आईटी इंडस्ट्री को भारी नुकसान होगा. लाखों नौकरियां खतरे में पड़ेंगी और स्टार्टअप्स का पारिस्थितिकी तंत्र चरमरा सकता है.
भारत में एप्पल के प्रीमियम स्मार्टफोन्स की मांग ने न केवल उपभोक्ता बाजार को गति दी है, बल्कि इसने भारत में विनिर्माण को भी बढ़ावा दिया है. ट्रंप ने धमकी दी है कि अगर एप्पल भारत में चिप बनाकर अमेरिका भेजती है, तो 100% टैरिफ लगेगा. लेकिन अगर भारत एप्पल को बाहर करता है, तो 'मेक इन इंडिया' पहल को झटका लगेगा, क्योंकि एप्पल भारत में हजारों नौकरियां पैदा कर रही है.
पेप्सिको, कोका-कोला, और मैकडॉनल्ड्स जैसी कंपनियां 30 अरब डॉलर के जंक फूड बाजार में खिलाड़ी हैं. ये कंपनियां न केवल उपभोक्ता उत्पाद बेचती हैं, बल्कि लाखों लोगों को रोजगार भी देती हैं.