अक्टूबर में भारत ने खरीदा 14.7 बिलियन डॉलर का सोना, जानें देश में किसने खरीदा सबसे ज्यादा गोल्ड?
भारत में सोने का आकर्षण हमेशा से रहा है, लेकिन अक्टूबर 2024 ने इसकी कहानी बिल्कुल उलट कर दी. महंगाई के बीच आम आदमी तो सोना खरीदने से दूर हो गया, ज्वैलरी शोरूम भी भीड़ के लिए तरसते रहे, पर इसके बावजूद देश का गोल्ड इंपोर्ट 200 फीसदी बढ़ गया.
आंकड़ों के मुताबिक, सिर्फ एक महीने में भारत ने 14.7 बिलियन डॉलर का सोना खरीद लिया, जो देश के इतिहास में किसी भी महीने का सबसे बड़ा आयात है. इस रिकॉर्ड इंपोर्ट ने सीधे तौर पर ट्रेड डेफिसिट को 42 बिलियन डॉलर तक धकेल दिया.
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि गोल्ड इतनी मात्रा में न खरीदा जाता, तो व्यापार घाटा 27 बिलियन डॉलर पर आकर संभल सकता था, लेकिन गोल्ड की मांग ऐसे बढ़ी मानों किसी अदृश्य हाथ ने बाजार का रुख मोड़ दिया हो.
पहला शक गया था रिजर्व बैंक पर, क्योंकि RBI अक्सर डॉलर की गिरावट के दौर में गोल्ड खरीदता है. लेकिन इस बार RBI ने साल के नौ महीनों में सिर्फ 4 टन गोल्ड खरीदा, जो पिछले साल से भी कम है. कुल गोल्ड इंपोर्ट में RBI की हिस्सेदारी पांच फीसदी से भी कम रही, इसलिए इतनी भारी खरीदारी RBI ने नहीं की.
इसके बाद नजरें ETF यानी गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स पर गईं. भारत में इस साल ETF में रिकॉर्ड 7000 करोड़ रुपये निवेश हुआ, जो एशिया का दूसरा सबसे बड़ा इनफ्लो था, हालांकि गोल्ड ETF पूरे सालाना गोल्ड बाजार का सिर्फ 10 फीसदी हिस्सा रखते हैं. इसलिए ETF के निवेश को भी इतने बड़े इंपोर्ट का कारण नहीं माना जा सकता.
सरकारी रिपोर्ट्स संकेत देती हैं कि इस बार सोने की डिमांड बड़े संस्थागत खरीदारों द्वारा उठाई गई. कई बुलियन ट्रेडर्स ने कीमतों में तेजी के बावजूद रणनीतिक भंडारण बढ़ाया है. ग्लोबल सप्लाई चेन में बदलाव हुआ है- रूस, अफ्रीका और मध्य पूर्व में सोने का प्रवाह पुनर्गठित हो रहा है, जिसमें स्विट्जरलैंड और यूएई के जरिए भारत तक नए सोर्सिंग चैनल खुल गए हैं.
इसके चलते भारत ने मौके को भांपते हुए भारी मात्रा में भौतिक सोना स्टॉक किया. ज्वैलरी सेक्टर की मांग इस समय स्थिर है, लेकिन बुलियन मार्केट में ‘फिजिकल गोल्ड’ की भूख अचानक बढ़ी. कारोबारियों का कहना है कि कीमतें आगे और बढ़ने का अनुमान था, इसलिए कई बड़े समूहों ने भविष्य की सुरक्षा के लिए सोना खरीदा.