Immortal Jellyfish: दुनिया में अमर है यह जानवर, मौत को मात देकर फिर शरीर को बना लेती है जवान
चोट, भुखमरी या फिर ज्यादा तनाव का सामना करने पर यह जेलीफिश एक जैविक चमत्कार करती है. यह बाकी जीवों की तरह मरती नहीं बल्कि अपने शुरुआती विकास के चरण में वापस लौट आती है. इस वजह से यह प्राकृतिक मृत्यु से पूरी तरह से बची हुई है और नए सिरे से जीवन को शुरू कर सकती है.
वापस से जवान होने की प्रक्रिया के दौरान वयस्क जेलीफिश जिसे मेडुसा कहा जाता है सिकुड़ जाती है, अपने टेंटकल्स गिरा देती है, और टिशु की एक छोटी सी गेंद में सिमट जाती है जिसे सिस्ट कहते हैं.
24 से 36 घंटे के अंदर यह सिस्ट एक पॉलिप में बदल जाता है. यह जेलीफिश के जीवन चक्र का सबसे प्रारंभिक चरण होता है. पॉलिप समुद्र तल से जुड़े एक छोटे पौधे की तरह काम करते हैं जो धीरे-धीरे नई जेलीफिश को अंकुरित करता है.
जैसे ही पॉलिप बड़ा हो जाता है यह शिशु जेलीफिश को उत्पन्न करना शुरू कर देता है. यह किशोर जेलीफिश पूरी तरह से कार्यशील व्यस्क जेलीफिश में विकसित होते हैं. आसान शब्दों में कहें तो एक जेलीफिश प्राकृतिक रूप से मरे बिना अपनी अनगिनत पीढ़ियां उत्पन्न कर सकती हैं.
इम्मोर्टल जेलीफिश का रूपांतरण ट्रांसडिफरेंशियेशन द्वारा ही संभव होता है. इस प्रक्रिया में एक प्रकार के कोशिका दूसरे में बदल जाती है.
इस जेलीफिश में कुछ खास जीन होते हैं। यह जीव कोशिकाओं को युवा अवस्था में लौटने का निर्देश देते हैं. साथ ही टिशु की मरम्मत या फिर दोबारा से निर्माण करते हैं.