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सीजफायर के बाद भी लड़ने लगें दो देश तो कहां होती है सुनवाई, कौन ले सकता है एक्शन?

निधि पाल   |  21 Oct 2025 05:38 PM (IST)
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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसे मामलों की पहली सुनवाई का मंच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) होता है. यह संस्था अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने की जिम्मेदारी रखती है.

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अगर कोई देश या सशस्त्र संगठन सीजफायर का उल्लंघन करता है, तो यूएनएससी उस पर कूटनीतिक या आर्थिक प्रतिबंध लगा सकती है. लेकिन वास्तविक कार्रवाई का रास्ता अक्सर अटक जाता है क्योंकि अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे स्थायी सदस्य अपने वीटो पावर का इस्तेमाल करते हैं.

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इजरायल से जुड़े मुद्दों पर कई बार ऐसा हो चुका है, जब किसी ठोस निर्णय से पहले ही प्रस्ताव रुक गया. इसके बाद आता है अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) का मंच. यह संस्था राज्यों के बीच विवादों की सुनवाई करती है.

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अगर कोई देश युद्धविराम तोड़कर अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करता है, तो दूसरा देश ICJ में मामला दर्ज करा सकता है. हालांकि इसका फैसला लागू करवाना आसान नहीं होता, क्योंकि अदालत के पास सीधे सैन्य या आर्थिक कार्रवाई का अधिकार नहीं है.

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वहीं अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) व्यक्तिगत जिम्मेदारी तय करता है. यानी किसी देश या संगठन के नेता, सैन्य अधिकारी या प्रमुख कमांडर पर युद्ध अपराध या मानवता के खिलाफ अपराध का आरोप लगाया जा सकता है.

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फिलहाल ICC ने हमास और इजरायल दोनों के खिलाफ कुछ मामलों में जांच शुरू की है. अदालत गिरफ्तारी वारंट जारी कर सकती है, लेकिन उसे लागू करवाना सदस्य देशों पर निर्भर होता है.

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इन वैश्विक संस्थाओं के अलावा, मिस्र, कतर, अमेरिका और तुर्की जैसे देश मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं. जब युद्धविराम टूटता है, तो ये देश तुरंत वार्ता शुरू करवाने, मानवता आधारित सहायता पहुंचाने और तनाव घटाने की कोशिश करते हैं. कई बार इन्हीं की मध्यस्थता से अस्थायी शांति बहाल होती है.

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