क्या है हमसफर एक्सप्रेस ट्रेन की कहानी, आखिर इसमें किराया दूसरी ट्रेन से ज्यादा क्यों होता है
हमसफर ट्रेन के हर कैबिन में कॉफी/टी/सूप वेंडिंग मशीन और हॉट व रेफ्रिजरेटेड पेंट्री साथ कई और फैसिलिटी हैं. यह ट्रेन CCTV, GPS बेस्ट पैसेंजर इन्फॉर्मेशन सिस्टम, फायर एंड स्मोक डिटेक्शन और सुपरविजन सिस्टम से लैस है. इसकी हर बर्थ में लैपटॉप चार्जिंग प्वॉइंट भी मौजूद होता है. यहां तक की साइड बर्थ में भी चार्जिंग पॉइंट्स बनाए गए हैं.
इस ट्रेन की शुरुआत के समय रेलवे ने यह दावा किया था है कि यह देश की यह पहली ऐसी ट्रेन है, जिसमें बच्चों की नैपकिन बदलने की सुविधा भी है. नैपकिन बदलने के लिए इसमें एक टेबल लगी है. इससे यात्रियों को छोटे बच्चों के साथ यात्रा करने में भी कोई परेशानी नहीं होती है.
हमसफर एक्सप्रेस में साइड बर्थ की गैैप को ढकने की भी व्यवस्था भी है. इसमें साइड बर्थ में दिखने वाले गैैप को भरने के लिए अलग से सीट बर्थ की का अरेंजमेंट है. इससे यात्रियों को बैठने और सोने में कोई दिक्कत नहीं होती. हमसफर ट्रेनों की शुरुआत फ्लेक्सी फेयर सिस्टम के साथ हुई थी, यानी जैसे-जैसे सीटें कम बचेंगी, किराया बढ़ता जाएगा. इस ट्रेन में सभी कोच AC-3 होते हैं.
दिव्यांग लोगों को बर्थ और कोच ढूंढने में परेशानी न हो, इसके लिए इसमें ब्रेल लिपि में बर्थ और कोच नंबर लिखा रहता है. ट्रेन में बर्थ वाइज रीडिंग लाइट की सुविधा उपलब्ध है. ऊपर के बर्थ पर चढ़ने, उतरने के लिए सीट हैंडल लगा है. सभी कोच में अग्नि निरोधक यंत्र व पर्दा लगाया गया है.
यह ट्रेन जीपीएस सिस्टम से लैस है, जिससे स्टेशनों और ट्रेन की गति और आगे कौन से स्टेशन पर ट्रेन रुकेगी, इसका पता भी चल जाता है. इसके अलावा, यात्रियों को गंदगी फेंकने के लिए केबिन से बाहर न जाना पड़े, इसके लिए कोच के हर केबिन में डस्टबिन लगे हैं. हमसफर ट्रेन का किराया बाकी ट्रेनों की तुलना में 1.5 गुना तक महंगा होता है.