बोली लगाने के बाद फैंसी नंबर नहीं लेने पर क्या होता है, कितना लगता है जुर्माना?
पिछले कुछ सालों में भारत में फैंसी या वीआईपी नंबर प्लेट की चाहत बहुत आम हो गई है. लोग विशेष नंबरों के लिए नीलामी में हिस्सा लेते हैं, बड़ी बोली लगाते हैं, और अपने वाहन को एक अलग पहचान देना चाहते हैं.
Regional Transport Office (RTO) द्वारा आयोजित इस नीलामी में विजेता घोषित होने के बाद, नंबर का आरक्षण होता है, लेकिन यह आरक्षण तब तक वैध नहीं मान लिया जाता जब तक कि राशि जमा न हो जाए और संख्या प्लेट जारी न हो जाए.
रिपोर्ट्स आ रही हैं कि कई राज्यों में ऐसी सारी बिड्स को रद्द कर दिया जाता है, जहां विजेता भुगतान नहीं कर पाते या उन्होंने आगे बढ़ने से मना कर दिया. उदाहरण के लिए, हाल-ही में एक मामले में वीआईपी नंबर HR88B8888 को फिर से नीलामी के लिए खोल दिया गया क्योंकि पहले बोली जीतने वाला व्यक्ति भुगतान नहीं कर पाया था.
असल में, फैंसी नंबर लेना कानूनी है बशर्ते आप सारी पंजीकरण प्रक्रिया सही तरीके से करें, राज्य द्वारा निर्धारित फॉर्मेट का पालन करें, और भुगतान समय पर करें, लेकिन अगर नियमों से हटकर नंबर प्लेट खुद से या स्टिकर लगाकर बदल ली जाए तो जुर्माना मुश्किल से बचना मुश्किल है.
नीलामी में बोली जीतने के बाद अगर विजेता पैसे जमा नहीं करता या नंबर लेने से परमिट नहीं लेता तो RTO उस आरक्षित नंबर को फिर से नीलामी के लिए खोल देता है. उदाहरण के लिए जिस नंबर की बोली 1 करोड़ से ऊपर आई थी, उसे पुनः नीलामी के लिए खोलना पड़ा क्योंकि भुगतान नहीं हुआ. लेकिन उसकी सुरक्षा राशि जब्त कर ली गई.
इसका मतलब यह है कि आपका नाम विजेताओं की सूची से रिमूव हो जाएगा, बोली राशि वापस नहीं मिलेगी (यदि आपने जमा की थी), और नंबर के लिए दोबारा बोली लगानी होगी.
फैंसी नंबर प्लेट कई लोगों को स्टेटस, पसंद और पहचान देती है, लेकिन इसके साथ नियम-पालन और जिम्मेदारी जरूरी है. अगर आपने बोली जीत ली, लेकिन आगे की प्रक्रिया पूरी नहीं की, तो इससे आपका नाम, पैसा और वाहन पंजीकरण दोनों प्रभावित हो सकते हैं.