Mobile Network:अपना मोबाइल नेटवर्क कैसे बना सकते हैं, इसमें कितना आता है खर्चा?
मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटर बनने के लिए भारत के दूरसंचार विभाग से एक यूनिफाइड लाइसेंस प्राप्त करना होगा. आपको नीलामी के जरिए एक स्पेक्ट्रम भी खरीदना होगा जो काफी महंगा है. इसके अलावा आपको टावर, बेस स्टेशन, एंटीना और लाखों उपयोगकर्ताओं को संभालने में सक्षम एक कोर नेटवर्क के साथ-साथ व्यापक बुनियादी ढांचा तैयार करना होगा. आखिर में सेवा को शुरू करने में बिलिंग सिस्टम, ग्राहक सेवा और मार्केटिंग की भी तैयारी करनी होगी. इस पूरी प्रक्रिया में करोड़ों रुपए खर्च हो सकते हैं.
मोबाइल वर्चुअल नेटवर्क ऑपरेटर थोड़ा ज्यादा किफायती विकल्प है. यह एयरटेल या जियो जैसे मौजूद मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटर कंपनियों से लीज पर कैपेसिटी लेता है. आपको दूरसंचार विभाग से इसके लिए लाइसेंस प्राप्त करना होगा. लेकिन यह प्रक्रिया मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटर का लाइसेंस प्राप्त करने से थोड़ी आसान है. लेकिन इसमें भी आपके लाखों रुपए खर्च हो सकते हैं.
अपना निजी मोबाइल नेटवर्क बनाना और भी ज्यादा आसान है. इसमें किसी परिसर, कारखाने या फिर औद्योगिक परिसर जैसे एक सीमित क्षेत्र में रेडियो या बेस स्टेशन जैसे छोटे पैमाने के उपकरण लगाने के लिए दूरसंचार विभाग से अनुमति प्राप्त की जाती है. ये मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटर की तुलना में काफी सस्ते होते हैं और इसकी लागत नेटवर्क के आकार और उपकरणों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है.
चाहें आप किसी भी तरह का नेटवर्क लगाएं लेकिन आपको दूर संचार विभाग की मंजूरी जरूर लेनी होगी. अगर नियमों की अनदेखी की जाती है तो गंभीर दंड और नेटवर्क शटडाउन हो सकता है.
मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटर को हजारों टावरों, बेस स्टेशन और फाइबर ऑप्टिक बैकहॉल और नेटवर्क स्विच की जरूरत होती है, लेकिन मोबाइल वर्चुअल नेटवर्क ऑपरेटर को मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटर के मौजूदा बुनियादी ढांचे पर निर्भर होना पड़ता है. इन सबसे अलग निजी नेटवर्क के लिए कम उपकरणों की जरूरत होती है, लेकिन उन्हें स्थानीय कवरेज और कनेक्टिविटी गुणवत्ता के लिए अनुकूलित किया जाना चाहिए.
मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटर के लिए काफी ज्यादा लागत लगेगी जो करोड़ों रुपए तक पहुंच सकती है. वहीं अगर मोबाइल वर्चुअल नेटवर्क ऑपरेटर की बात करें तो उन्हें भी लाइसेंसिंग, साझेदारी और ब्रांडिंग में लाखों का निवेश करना पड़ सकता है. लेकिन निजी नेटवर्क सबसे सस्ते होते हैं.