वीकेंड पर कैसे हुई छुट्टी की शुरूआत, क्या इसके पीछे भी है कोई कारण
नौकरी करने वाले लोगों का सबसे बड़ा दुख छुट्टी ही होती है. क्योंकि उन्हें अपने काम से छुट्टी नहीं मिलती है. लेकिन वीकेंड आने पर वो दो दिनों के लिए खुश हो जाते हैं, क्योंकि इन दो दिनों में कोई काम नहीं होता है.
वीकेंड के पीछे कई अलग-अलग कारण है. सबसे पहले हम धार्मिक कारण समझते हैं.ईसाई धर्म के अनुसार ईश्वर ने केवल 6 दिन ही बनाए थे. क्योंकि सातवें दिन वह आराम करते थे. इसी धारणा के चलते संडे का दिन आराम और पूजा करने के लिए रखा गया है.
वहीं यहूदी धर्म में शनिवार को शब्बथ कहा जाता है, यानी आराम का दिन होता है. वहीं मुस्लिम देशों में शुक्रवार को जुमा होता है, इसे भी इबादत का दिन माना गया है.
दुनियाभर में ईसाई धर्म के लोग ज्यादा हैं, इसलिए लगभग 200 साल पहले रविवार को ही छुट्टी का दिन माना गया था. वहीं हिंदू धर्म में हफ्ते की शुरुआत रविवार से मानी जाती है. दरअसल यह दिन भगवान सूर्य का माना जाता है, लेकिन इस दिन भारत में अंग्रेजों के आने से पहले छुट्टी नहीं होती थी.
जानकारी के मुताबिक मुगलकाल में लोगों को शुक्रवार को छुट्टी दी जाती थी, क्योंकि उस दिन जुम्मे की नमाज होती थी. लेकिन भारत में 1843 से ब्रिटिश हुकूमत ने रविवार को छुट्टी घोषित की थी.
बता दें कि शुरूआत में सिर्फ स्कूल बंद रहते थे. लेकिन मजदूरों को हफ्ते के सातों दिन काम करना होता था. ऐसे में 1857 में एक मिल में काम करने वाले मजदूर नेता मेघाजी लोखंडे ने मजदूरों के हक में आवाज उठाई और एक दिन की छुट्टी की मांग की थी. उनकी यह कोशिश कामयाब हुई थी और 10 जून 1890 को ब्रिटिश भारत ने सभी वर्कर्स को छुट्टी देने का ऐलान किया था.
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संस्था ISO ने रविवार की छुट्टी को 1986 में मान्यता दी थी. अब आप सोच रहे होंगे कि शनिवार फिर वीकेंड में कैसे जुड़ा है. बता दें कि इसकी मांग मजदूरों ने की थी. क्योंकि उनके एक दिन की छुट्टी में कोई काम नहीं हो पाता था.
वहीं इंग्लैंड में 1884 इंग्लैंड में शनिवार को हाफ डे यानी आधे दिन काम करने का कैंपेन शुरू हुआ था. वहीं दुनिया की सबसे मशहूर मोटर कंपनी ‘फोर्ड’ के मालिक और अमेरिका के बिजनेसमैन हेनरी फोर्ड ने दुनिया में पहली बार अपनी कंपनी के कर्मचारियों को 5 दिन काम करने और 2 दिन वीकेंड पर छुट्टी देने की शुरुआत की थी.