भारतीय सेना में रेजिमेंट कैसे बनाए गए, इसका जातियों से क्या है संबंध
सबसे पहले समझिए कि रेजिमेंट क्या होता है. दरअसल, रेजिमेंट की व्यवस्था सिर्फ भारतीय थल सेना में ही है. जबकि वायु सेना और नौसेना में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है.
रेजिमेंट को आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि यह एक तरीके का सैन्य दल होता है और ये थल सेना का एक हिस्सा होता है. ये सभी रेजिमेंट मिलकर ही पूरी थल सेना बनाती हैं.
कुछ समय पहले देश में एक मांग उठी की सेना में दूसरी रेजिमेंट की तरह अहीर रेजिमेंट भी हो. इसके लिए कई प्रदर्शन भी हुए, लेकिन इस मांग को माना नहीं गया.
फिलहाल देश में जैसे जाति के आधार पर जो रेजिमेंट हैं उनमें राजपूत, जाट, डोगरा, राजपूताना, महार आदि शामिल हैं. वहीं, क्षेत्र के आधार पर जो रेजिमेंट हैं उनमें बिहार, कुमाउं, लदाख, मद्रास, असम आदि शामिल हैं. इनके अलावा कम्युनिटी के आधार पर गोरखा और मराठा जैसी रेजिमेंट मौजूद हैं.
इस तरह के रेजिमेंट बनाने के इतिहास को देखें तो यह 1857 क्रांति से जुड़ा है. इसी के बाद अंग्रेजों ने जाति आधारित रेजिमेंट पर जोर दिया.
दरअसल, इस क्रांति के बाद जोनाथन पील कमीशन बनाई गई और इसे लॉयल सैनिकों को चुनने का काम दिया गया. इस कमीशन ने मार्शल और नॉन मार्शल जातियों को चिन्हित किया और मार्शल यानी लड़ने में काबिल जातियों को इसके लिए चुना.
भारत के अलावा पाकिस्तान में भी जातिआधारित रेजिमेंट है. ये व्यवस्था दोनों देशों में अंग्रेजों द्वारा शुरू की गई थी और ये आज भी कायम है.