Diamond Purity: सोना-चांदी तो खूब जान लिया लेकिन कैसे तय होती है हीरे की शुद्धता, कौन तय करता है इसके रेट
हीरे की शुद्धता और गुणवत्ता का निर्धारण 4सी प्रणाली, कट, क्लेरिटी, कलर और कैरेट का इस्तेमाल कर के किया जाता है. इसे जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ अमेरिका द्वारा विकसित किया गया है.
हीरे की कट सबसे ज्यादा जरूरी होती है क्योंकि यह निर्धारित करती है कि पत्थर प्रकाश को कितनी अच्छी तरह से रिफ्लेक्ट करता है. एक बारीक तराशा हुआ हीरा सटीक अनुपात, समरूपता और पॉलिश की वजह से काफी शानदार तरीके से चमकता है.
स्पष्टता हीरे के अंदर आंतरिक दोष या सतही दोष की उपस्थिति को दर्शाती है. कम खामियों का मतलब ज्यादा शुद्धता और ज्यादा मूल्य है. हीरो को स्पष्टता के पैमाने पर वर्गीकृत किया जाता है. यह फ्लालेस(FL) से लेकर इंक्लूडिड (I3) तक होता है.
हीरे का मूल्यांकन उनके रंगहीन होने की वजह से किया जाता है. जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ अमेरिका रंग पैमाना डी (रंगहीन) से लेकर जेड (हल्का पीला या भूरा) तक होता है. पूरी तरह से रंगहीन हीरा काफी ज्यादा दुर्लभ होता है और सबसे ज्यादा मूल्यवान भी होता है.
कैरेट एक इकाई है जिसका इस्तेमाल हीरे के अंदर के भार को मापने के लिए किया जाता है. 1 कैरेट में 200 मिलीग्राम होते हैं. बड़े हीरे काफी ज्यादा दुर्लभ होते हैं और क्योंकि दुर्लभता ही मूल्य निर्धारण करती है इस वजह से कैरेट के वजन में मामूली वृद्धि भी हीरे की कीमत में काफी ज्यादा बढ़ोतरी कर सकती है.
हीरे की कीमतें कई वैश्विक वजहों से प्रभावित होती हैं. डी बीयर्स जैसी प्रमुख हीरा कंपनियां आपूर्ति को नियंत्रित करती है जिस वजह से बाजार की कीमतें प्रभावित होती हैं. अंतर्राष्ट्रीय रत्न विज्ञान संस्थान जैसी मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं से एक प्रमाणित ग्रेडिंग मिलती है, जिससे प्रमाणित हीरे और ज्यादा महंगे हो जाते हैं.