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Mobile Call Process: मोबाइल पर कैसे आता है किसी का फोन? टॉवर से लेकर हेलो तक, जाने पूरी जर्नी

स्पर्श गोयल   |  09 Dec 2025 07:21 PM (IST)
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आप जब भी कोई नंबर डायल करते हैं और बोलना शुरू करते हैं आपका फोन तुरंत आपकी आवाज को छोटे डिजिटल पैकेट में बदल देता है. ये पैकेट कंप्रेस और एन्कोड किए जाते हैं ताकि बिना क्लेरिटी खराब हुई हवा में तेजी से ट्रेवल कर सकें.

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आपका मोबाइल एन्कोड किए गए डिजिटल डेटा को रेडियो तरंगों का इस्तेमाल करके पास के सेल टावर पर भेजता है. इसके बाद यह सिग्नल मोबाइल नेटवर्क को दी गई फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल करके हवा में ट्रैवल करते हैं. टावर का बेस स्टेशन उन्हें मिली सेकंड में रिसीव करता है और उन्हें अगले हॉप के लिए तैयार करता है.

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टावर से आपका सिग्नल बेस स्टेशन कंट्रोलर और फिर मोबाइल स्विचिंग सेंटर तक जाता है. मोबाइल स्विचिंग सेंटर आपका नंबर वेरीफाई करता है और ऑथराइजेशन चेक करता है. इसके बाद यह तय करता है कि कॉल को आगे कहां भेजना है.

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अगर दोनों फोन एक ही नेटवर्क पर हैं तो मोबाइल स्विचिंग सेंटर कॉल को इंटरनली रूट करता है. अगर दूसरा व्यक्ति किसी दूसरे नेटवर्क पर है तो कॉल को एक गेटवे या इंटरकनेक्शन पॉइंट पर भेजा जाता है. यह अलग-अलग सर्विस प्रोवाइडर को एक साथ जोड़ता है.

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हर मोबाइल यूजर दो डेटाबेस में रजिस्टर होते हैं. होम लोकेशन रजिस्टर और विजिटर लोकेशन रजिस्टर. यह सिस्टम ट्रैक करते हैं कि रिसीवर अभी किस शहर, क्षेत्र और सेल टावर एरिया के पास है. इससे नेटवर्क उनके फोन को तुरंत ढूंढ पाते हैं ताकि कॉल सही टावर तक पहुंचे.

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जैसे ही नेटवर्क को पता चल जाता है कि रिसीवर कहां है तो मोबाइल स्विचिंग सेंटर कॉल को सही सेल टावर पर रूट करता है. टावर सिग्नल को रेडियो तरंगों के रूप में दूसरे व्यक्ति के फोन पर भेजता है. जैसी दूसरे व्यक्ति के डिवाइस को यह सिग्नल मिलता है वह बजने लगता है.

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