नाक के बलगम से कैसे पता चल जाती थी बीमारी, जब नहीं थी मशीनें तब कैसे होता था इलाज?

दरअसल, आपकी नाक के रास्ते से निकलने वाला बलगम आपके स्वास्थ्य के बारे में कई इशारे करता है. खास तौर पर संक्रमण से होने वाली बीमारियों के बारे में. एक्सपर्ट्स का कहना है कि बलगम हमें ऐसे अदृश्य बैक्टीरिया से बचाता है, जो शरीर को संक्रमित कर सकते हैं.
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बलगम के बारे में सबसे हैरानी वाली यह है कि जब डॉक्टर्स और मशीनें नहीं होती थीं, तब शरीर की यही एक चीज हमारी बहुत ही बीमारियों के बारे में इशारा करती थी और इसे देखकर ही इंसान का इलाज भी किया जाता था.

प्राचीन ग्रीस में नाक के रास्ते निकलने वाले बलगम को मानव शरीर के उन चार द्रवों में से एक माना जाता था, जो मानव स्वास्थ्य और उसके व्यक्तित्व के संतुलन के लिए जिम्मेदार होते थे.
बलगम के अलावा अन्य द्रव्य थे- पीला पित्त, काला पित्त और रक्त. प्राचीन यूनान में जब किसी बीमार व्यक्ति का इलाज किया जाता था तो इन्हीं चार बॉडी फ्लूएड की जांच की जाती थी. इन फ्लूएड में किसी एक चीज की भी अधिकता बीमारी की ओर संकेत करती थी.
यूनानी चिकित्सा के अनुसार, मानव शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए इन चार द्रवों का संतुलन बहुत जरूरी होता है. जैसे अगर किसी व्यक्ति में बलगम या कफ ज्यादा बनने लगे तो उस व्यक्ति को संक्रामक रोगों का खतरा हो सकता है. जैसे- सर्दी, खांसी और इससे जुड़ी अन्य बीमारियां.
डॉक्टर्स का भी यही मानना है कि बलगम इंसान के फेफड़ों और मस्तिष्क में बनता है. सर्दी के मौसम मानव शरीर में इसकी अधिकता हो सकती है और कई बार यह मिर्गी का भी कारण बन सकता है.