Toilet in Space: अंतरिक्ष में टॉयलेट कैसे जाते हैं एस्ट्रोनॉट्स, जानें किस टेक्नोलॉजी का होता है इस्तेमाल?
अंतरिक्ष में वेस्ट को नीचे की तरफ खींचने वाला कोई गुरुत्वाकर्षण नहीं होता. इस वजह से सामान्य शौचालय बेकार हो जाता है. अगर सही प्रणाली ना हो तो वेस्ट बस इधर-उधर तैरता रहेगा जिससे स्वच्छता संबंधी तकलीफें होगी. इस वजह से अंतरिक्ष यात्री सक्शन ड्रिवन टॉयलेट्स का इस्तेमाल करते हैं. यह वेस्ट को सुरक्षित रूप से प्रबंधित करने के लिए नियंत्रित वायु प्रवाह का इस्तेमाल करते हैं.
मूत्र के लिए अंतरिक्ष यात्री एक नली से जुड़ी फनल का इस्तेमाल करते हैं. इस नली में एक अंतर्निहित सक्षम तंत्र होता है जो मूत्र को एक सुरक्षित कंटेनर में खींच लेता है.
अंतरिक्ष में कुछ भी बर्बाद नहीं होता. मूत्र को एकत्र करने के बाद इसे फिल्टर और शुद्ध करके एक पुनर्चक्रित पेयजल बनाया जाता है. नासा का एडवांस्ड फिल्ट्रेशन सिस्टम 93% मूत्र को दुबारा इस्तेमाल के लिए सुरक्षित और स्वच्छ पानी में बदल सकता है.
सॉलिड वेस्ट के लिए अंतरिक्ष यात्री एक छोटी ऊंची शौचालय सीट पर बैठते हैं. यह शरीर से कसकर फिट होती है. जैसे ढक्कन खोला जाता है तो एक वैक्यूम सक्शन सिस्टम अपने आप सक्रिय हो जाता है और वेस्ट को प्लास्टिक से ढके कंटेनर में खींच लेता है.
हर इस्तेमाल के बाद वेस्ट को खास बाग में सील कर दिया जाता है और उन्हें वेस्ट कंटेनर में संग्रहित किया जाता है. जब यह कंटेनर भर जाते हैं तो उन्हें कार्गो अंतरिक्ष यान में पृथ्वी पर वापस भेज दिया जाता है, जो वायुमंडल में जल जाते हैं.
वातावरण को स्वच्छ और सांस लेने योग्य बनाए रखने के लिए शौचालय में एक एयर फ्लो सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है जो गंध को दूर करती है और हवा को फिल्टरों के जरिए से प्रवाहित करती है.