Blood Groups: इंसानों में कैसे तय होता है ब्लड ग्रुप, कब होते हैं पॉजिटिव-निगेटिव?
बच्चों को माता-पिता से एक ABO जीन मिलता है. यह मिलकर तय करते हैं कि ब्लड ग्रुप A, B, AB या O होगा. O रिसेसिव होता है इसलिए इस ब्लड ग्रुप को बनाने के लिए दो O जीन की जरूरत होती है जबकि A और B डोमिनेंट होते हैं.
ABO ग्रुप की पहचान इस बात से होती है कि रेड ब्लड सेल्स की सतह पर कौन से एंटीजन छोटे प्रोटीन मार्कर मौजूद हैं. A एंटीजन का मतलब ग्रुप A, B एंटीजन का मतलब ग्रुप B, दोनों का मतलब AB और दोनों के न होने का मतलब ग्रुप O.
अगर किसी भी व्यक्ति को ऐसा खून चढ़ा दिया जाए जिसमें ऐसे एंटीजन हो जिन्हें उसका शरीर पहचानता नहीं है तो इम्यून सिस्टम उस पर हमला कर देता है. यही वजह है कि सुरक्षित ब्लड ट्रांसफ्यूजन के लिए ABO सिस्टम जरूरी है.
ABO टाइप के अलावा इंसान का खून पॉजिटिव या नेगेटिव लेबल किया जाता है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि Rh (D) एंटीजन मौजूद है कि नहीं. अगर यह है तो पॉजिटिव ब्लड ग्रुप होगा और अगर नहीं है तो नेगेटिव होगा.
Rh पॉजिटिव जीन डोमिनेंट होता है. यानी कि अगर माता-पिता में से कोई एक भी पॉजिटिव Rh जीन देता है तो बच्चे के Rh पॉजिटिव होने की संभावना होती है.
अगर कोई Rh नेगेटिव मां Rh पॉजिटिव बच्चों को जन्म दे रही है तो उसका इम्यून सिस्टम बच्चों के खून के खिलाफ एंटीबॉडी बना सकता है. मॉडर्न मेडिसिन समय पर इंजेक्शन देकर ऐसे जोखिम को रोकती हैं.