कहां से शुरू हुई नहाने की परंपरा? सर्दियों में पानी से डरने वाले जान लें जवाब
नहाने की परंपरा का इतिहास हजारों साल पुराना है. प्राचीन सभ्यताओं में पानी को सिर्फ शरीर साफ करने का साधन नहीं, बल्कि शुद्धिकरण का माध्यम माना जाता था. सिंधु घाटी सभ्यता में बने विशाल स्नानागार इस बात का प्रमाण हैं कि ईसा पूर्व 2500 के आसपास भी सामूहिक स्नान और स्वच्छता को महत्व दिया जाता था.
मोहनजोदड़ो का ग्रेट बाथ इस परंपरा का सबसे पुराना उदाहरण माना जाता है. भारतीय परंपरा में स्नान को धार्मिक कर्म से जोड़ा गया. गंगा, यमुना और अन्य नदियों में स्नान को पवित्र माना गया. आयुर्वेद में भी स्नान को शरीर, मन और आत्मा के संतुलन के लिए जरूरी बताया गया है.
सुबह स्नान करने को स्वास्थ्यवर्धक माना गया, लेकिन मौसम के अनुसार इसके नियम बदले जाते थे. सर्दियों में गर्म पानी से सीमित स्नान की सलाह दी जाती थी. प्राचीन ग्रीस और रोमन सभ्यता में सार्वजनिक स्नानघर बेहद लोकप्रिय थे. रोमन बाथ केवल सफाई का स्थान नहीं थे, बल्कि सामाजिक मेलजोल के केंद्र भी थे.
वहां गर्म और ठंडे पानी के स्नान की व्यवस्था थी, जिससे शरीर को आराम और ऊर्जा मिलती थी. हालांकि, ये सुविधाएं आमतौर पर शहरों तक सीमित थीं, ग्रामीण इलाकों में लोग अक्सर लंबे समय तक नहीं नहाते थे.
मध्यकाल आते-आते यूरोप में नहाने की आदत कम हो गई. उस दौर में यह धारणा फैल गई थी कि बार-बार नहाने से शरीर कमजोर होता है और बीमारियां फैलती हैं. ठंडे मौसम, सीमित जल संसाधन और गर्म पानी की कमी के कारण लोग सर्दियों में हफ्तों तक नहीं नहाते थे. इत्र और खुशबूदार तेलों से शरीर की गंध छिपाना आम चलन बन गया था. कई बार आज भी लोग ऐसा करते हैं.
सर्दियों में नहाने से परहेज सिर्फ परंपरा नहीं था, इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी थे. ठंड में शरीर की त्वचा प्राकृतिक तेल छोड़ती है, जो शरीर को गर्म रखने में मदद करता है. बार-बार नहाने से यह परत हट जाती है, जिससे त्वचा रूखी होती है और ठंड जल्दी लगती है. पुराने समय में हीटर और गर्म पानी की सुविधा न होने के कारण लोग स्वास्थ्य जोखिम से बचने के लिए स्नान टालते थे.
औद्योगिक क्रांति और आधुनिक प्लंबिंग सिस्टम के बाद नहाना आसान हो गया है. गर्म पानी की उपलब्धता, साबुन और शैम्पू के उपयोग ने रोज स्नान को सामान्य बना दिया है. स्वच्छता को बीमारियों से बचाव से जोड़ा गया, जिससे नहाना स्वास्थ्य का अहम हिस्सा बन गया.