क्या होता है झटका मीट, इस्लाम में इसे क्यों माना जाता है हराम
हलाल अरबी शब्द है, जिसका अर्थ है जायज यानी उचित या मान्य. इस्लामिक परंपरा के अनुसार, केवल हलाल तरीके से काटे गए जानवर का मांस ही खाना उचित है.
झटका का मतलब है किसी जानवर की गर्दन को तेज धार वाले हथियार से एक ही बार में काट देना. माना जाता है कि इस प्रक्रिया में जानवर को मारने से पहले उसे बेहोश कर दिया जाता है, ताकि वह दर्द महसूस न कर सके.
झटका के समर्थकों का कहना है कि इससे जानवर को कम पीड़ा होती है और एक ही झटके में उसकी जान चली जाती है. झटका पद्धति मुख्य रूप से हिंदू और सिख परंपरा से जुड़ी है.
हलाल और झटका में सबसे बड़ा फर्क मारने के तरीके में होता है. हलाल प्रक्रिया में जानवर की गर्दन धीरे-धीरे काटी जाती है और श्वासनली, ग्रासनली और नसों को अलग किया जाता है.
इसके बाद पूरे खून को निकलने का इंतजार किया जाता है. वहीं झटका में एक ही वार में जानवर की गर्दन काट दी जाती है. हलाल मीट इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार जायज माना जाता है और धार्मिक आयोजनों जैसे बकरीद पर केवल हलाल तरीके से ही कुर्बानी दी जाती है.
झटका मीट को लेकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी सामने आते हैं. झटका से काटे गए जानवर में तुरंत ब्लड क्लॉटिंग यानि खून जमना शुरू हो जाता है. इससे जानवर का खून पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाता और मांस के टुकड़ों में जम जाता है.
इस वजह से मांस ज्यादा हार्ड हो जाता है और उसका स्वाद भी बदल सकता है. साथ ही, खून की अधिक मात्रा होने की वजह से झटका मीट जल्दी खराब हो जाता है और लंबे समय तक सुरक्षित नहीं रहता है. इसीलिए मुस्लिम में यह हराम माना जाता है.