Ethiopia Volcanic Eruption Ash India: ज्वालामुखी की राख हवाई जहाज के लिए कितनी खतरनाक, क्या-क्या हो सकती हैं दिक्कतें?
ज्वालामुखी की राख को अक्सर लोग धुएं की तरह हल्की या साधारण धूल समझ लेते हैं, लेकिन यह बेहद बारीक, नुकीले, खनिज और कांच जैसे तेज कणों का मिश्रण होती है. जब कोई ज्वालामुखी फटता है तो ये कण 10 से 15 किलोमीटर की ऊंचाई तक हवा में पहुंच जाते हैं, ठीक वहीं, जहां ज्यादातर एयरक्राफ्ट उड़ते हैं.
हवाई जहाज के लिए यह राख इतनी खतरनाक है कि दुनिया भर की एयरलाइंस इसके फैलते ही तुरंत उड़ानें रद्द कर देती हैं. इसका कारण साफ है. यह राख विमान के हर हिस्से में ऐसा नुकसान पहुंचाती है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है.
ज्वालामुखी की राख का सबसे खतरनाक असर इंजनों पर होता है. राख के कण इंजन में प्रवेश करके उसकी गर्मी से पिघल जाते हैं. पिघलने के बाद वे टरबाइन ब्लेड्स पर चिपक जाते हैं और इंजन का वायु प्रवाह रुक जाता है. ऐसी स्थिति में इंजन अचानक बंद हो सकता है और उड़ान के दौरान इंजन फेल होना किसी भी विमान के लिए सबसे भयावह स्थिति है.
कांच जैसी राख के कण तेज गति से खिड़कियों पर टकराते हैं और उन्हें घिस देते हैं. कुछ ही मिनटों में कॉकपिट की विंडो इतनी धुंधली हो सकती है कि बाहर कुछ दिखाई ही न दे न रनवे, न आसमान, न बादल.
फ्लाइट सेंसरों की सटीक रीडिंग पर चलती है, लेकिन राख इन सेंसरों को ब्लॉक कर देती है. इस दौरान स्पीड गलत दिख सकती है, ऊंचाई गलत हो सकती है, तापमान सेंसर रीडिंग बिगाड़ सकते हैं.
राख के कण हवा में उड़ते रेत के तूफान की तरह शरीर पर टकराते हैं. इससे प्लेन की बाहरी सतह, पेंट और धातु को नुकसान होता है. अगर राख एयर कंडीशनिंग सिस्टम में घुस जाए, तो यात्रियों को धुएं जैसी गंध आती है. इससे घबराहट और तनाव की स्थिति बन सकती है.
कभी-कभी राख रेडियो तरंगों को कमजोर कर देती है, जिससे पायलट का एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क टूट सकता है. राख फैलते ही उस मार्ग की उड़ानें रोकी जाती हैं. मौसम और सैटेलाइट डेटा से राख के बादलों पर नजर रखी जाती है. इसीलिए यात्रियों की सुरक्षा के लिए फ्लाइटें डायवर्ट या रद्द कर दी जाती हैं.