कॉस्ट कटिंग के लिए बना इमोजी कैसे बन गया ग्लोबल चैटिंग टूल? जान लें पूरा मामला
लेकिन क्या आप जानते हैं कि इमोजी का इन्वेंशन सिर्फ फिलिंग एक्सप्रेस करने के लिए नहीं बल्कि कॉस्ट कटिंग के लिए किया गया था. लेकिन धीरे-धीरे ये ग्लोबल लैंगुएज बन गई.
NTT DOCOMO में काम करने वाले शिगेताका कुरिटा ने इसका इन्वेंशन किया. दरअसल, साल 1999 में जापान में टेकस्ट कम्युनिकेशन तेजी से बढ़ रहा था.
लेकिन उस समय टेकस्ट करना काफी महंगा हुआ करता था. उस समय अनलिमिटेड प्लांस नहीं थे, जिस कारण मैसेज करते टाइम कैरेक्टर लिमिट के हिसाब से चार्ज किया जाता था.
साथ ही, तब जापान में एक ट्रेडिशन था कांजिका. इसमें बड़ी बाते बस एक सिंबल के जरिए कही जाती थीं. इन्हें देखकर कुरिटा ने 176 आइकंस 12 बाय 12 के ग्रिड पर बनाए और ये बना दुनिया का सबसे पहला इमोजी सेट.
ये इमोजी सिर्फ जापान के आई मोड फोन में आए थे. लेकिन 2008 में जब एप्पल ने अपना आई फोन लॉन्च किया तो उन्होंने इसमें एक इमोजी कीबोर्ड छिपाकर रखा था, जो हिडेन फीचर था.
जापान के कुछ लोगों ने इस फीचर को अनलॉक कर दिया, जिससे जापान में इमोजी का इस्तेमाल शुरू हो गया. इसके बाद एप्पल ने इसे फॉर्मली अनाउंस कर दिया.
इमोजी का ग्लोबल इस्तेमाल 2010 के बाद से शुरू हुआ, जब गूगल और एप्पल ने मिलकर इसे स्टैंडर्डाइज कर दिया. इस तरह इमोजी हमारी चैटिंग का हिस्सा बन गए.