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बकरीद पर कुर्बानी से पहले क्यों गिने जाते हैं बकरे के दांत? इसी से तय होती है कीमत

एबीपी लाइव   |  03 Jun 2025 07:01 PM (IST)
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इस्लाम धर्म में मुसलमान बकरीद के दिन बकरा या किसी अन्य जानवर की कुर्बानी देते हैं. ईद-उल-जुहा को कुर्बानी का दिन भी कहा जाता है.

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यह हजरत इब्राहिम के अल्लाह के प्रति अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी की याद में मनाया जाता है. बकरीद अपना कर्तव्य निभाने अल्लाह पर भरोसा करने लिए मनाया जाता है.

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लेकिन क्या आपको पता है कि बकरीद पर कुर्बानी देने से पहले बकरे के दांत क्यों गिनते हैं. दरअसल ऐसा इसलिए माना जाता है क्योंकि कहते हैं कि सिर्फ एक साल के बकरे की ही बलि देनी चाहिए.

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इसीलिए बकरे के दांत देखे जाते हैं और देखा जाता है कि उनमें से किसी के दो, चार या छह दांत होते हैं तो उसी की ही बलि दी जाती है.

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बकरे के दांत गिनकर इस बात का पता लगाया जाता है कि वो एक साल का है या नहीं. अगर उसके चार या छह दांत होते हैं तो वह बकरा एक साल का होता है.

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बकरीद पर नवजात और बुजुर्ग बकरे की कुर्बानी नहीं दी जाती है. इसीलिए कुर्बानी से पहले बकरे के दांत गिनना जरूरी होता है.

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जब किसी बकरे के दांत नहीं आए होते हैं, या फिर दो चार या छह से ज्यादा दांत होते हैं तो उसको नहीं कुर्बान करते हैं.

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