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हर 26 सेकेंड में थर-थर कांप रही अपनी पृथ्वी, अब तक जवाब नहीं खोज पाए वैज्ञानिक

निधि पाल   |  09 Sep 2025 08:13 AM (IST)
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image वैज्ञानिक इसे सीस्मिक नॉइज यानी पृष्ठभूमि में होने वाली हलचल से जोड़ते हैं. दरअसल सूरज जब पृथ्वी को असमान रूप से गर्म करता है, तो इससे हवाएं, तूफान और समुद्री लहरें बनती हैं.

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जब समुद्र की लहरें किनारों से टकराती हैं, तो उनकी ऊर्जा जमीन तक पहुंचती है और धीरे-धीरे पूरी धरती में फैल जाती है. यही ऊर्जा कंपन के रूप में वैज्ञानिकों के उपकरण पकड़ लेते हैं.

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कोलोराडो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक रिट्जवॉलर बताते हैं कि इसे ऐसे समझिए जैसे आप अपनी मेज पर हाथ से हल्का टैप करें. इससे आपके पास वाला हिस्सा ज्यादा हिलेगा, लेकिन कंपन पूरी मेज पर फैल जाएगा और दूसरी तरफ बैठे व्यक्ति तक भी पहुंचेगा.

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इसी तरह से समुद्र में पैदा हुई ऊर्जा पूरी पृथ्वी में फैल जाती है. यह 26 सेकंड का कंपन अब तक का सबसे रहस्यमयी पैटर्न माना जा रहा है. यह भूकंप या लहरों से बने कंपन की तरह अनियमित नहीं है, बल्कि बेहद नियमित है.

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यही वजह है कि वैज्ञानिक अभी तक इसका पक्का कारण नहीं ढूंढ पाए हैं. कुछ शोधकर्ता मानते हैं कि यह धरती की गहराई यानी मेंटल और कोर के बीच की गतिविधियों से जुड़ा हो सकता है, तो कुछ इसे समुद्री ऊर्जा का असर बताते हैं

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वैज्ञानिक दशकों से सीस्मिक नॉइज का इस्तेमाल पृथ्वी के अंदरूनी ढांचे को समझने के लिए कर रहे हैं. इसकी मदद से उन्होंने प्लेट्स, फॉल्ट लाइन्स और क्रस्ट-मैन्टल के बारे में जानकारी जुटाई है, लेकिन यह 26 सेकंड का कंपन उनके लिए एक नई पहेली बन गया है.

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आज सैटेलाइट के दौर में भी यह राज पूरी तरह खुल नहीं पाया है. भविष्य में जब और एडवांस रिसर्च होगी तब शायद यह रहस्य भी सुलझ सकेगा. फिलहाल, यह 26 सेकंड में धरती का कांपना रहस्य बना हुआ है.

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