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Food Affects Body Odor: क्या खाने-पीने की चीजों से बदल जाती है हमारे शरीर की गंध, चिकन-मटन और लहसुन-प्याज का कैसे होता है असर?

स्पर्श गोयल   |  04 Nov 2025 03:24 PM (IST)
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मटन या फिर बीफ जैसे लाल मास को पचने में काफी लंबा समय लगता है. इस प्रक्रिया के दौरान फैटी एसिड और नाइट्रोजन युक्त वेस्ट उत्पाद निकलते हैं. यह पसीने के साथ मिल सकते हैं. क्योंकि रेड मीट के पाचन में ज्यादा मेटाबॉलिक एनर्जी की जरूरत होती है इस वजह से यह ज्यादा तीखी गंध उत्पन्न करता है.

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चिकन एक सफेद मांस होता है इस वजह से इसमें वसा की मात्रा काफी कम होती है. इसी के साथ यह मटन की तुलना में पचाने में काफी आसान होता है. हालांकि चिकन में अमीनो एसिड और प्रोटीन होते हैं जो शरीर की गंध को थोड़ा प्रभावित कर सकते हैं. इसका प्रभाव रेड मीट जितना तेज नहीं होता लेकिन बार-बार सेवन करने की वजह से आपके पसीने की गंध में थोड़ा बदलाव आ सकता है.

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शरीर से आने वाली तेज गंध के लिए लहसुन बड़ी वजहों में से एक है. इसमें एलिसिन नाम का एक सल्फर आधारित यौगिक होता है जो पाचन के दौरान एलिल मिथाइल सल्फाइड में टूट जाता है. यह रक्त प्रवाह में प्रवेश करता है और फेफड़े और त्वचा के छेदों के जरिए से निकलता है. इससे शरीर से एक अलग गंध निकलती है.

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लहसुन की तरह प्याज में भी सल्फर यौगिक होते हैं. यह शरीर और सांस की दुर्गंध की वजह होते हैं. मेटाबोलाइज्ड के दौरान यह खून में मिल जाते हैं और बाद में त्वचा और सांस के जरिए से बाहर निकलते हैं. हालांकि इसका प्रभाव लहसुन की तुलना में थोड़ा कम होता है.

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शरीर की दुर्गंध तब ज्यादा उत्पन्न होती है जब पसीना त्वचा पर मौजूद बैक्टीरिया के साथ मिल जाता है. वसा, प्रोटीन या फिर सल्फर यौगिकों से भरपूर खाना पसीने की रासायनिक संरचना को बदल देता है. यह मॉलेक्युलिस त्वचा के बैक्टीरिया के साथ मिलकर तेज गंध वाले कंपाउंड्स बनाते हैं. पाचन प्रक्रिया जितनी जटिल होगी गंध उतनी ही तेज और लंबे समय तक टिकेगी.

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शाकाहारी आहार लेने वाले लोगों के लिए शरीर के दुर्गंध मांसाहारी लोगों की तुलना में हल्की होती है. ऐसा इसलिए क्योंकि प्लांट बेस्ड खाद्य पदार्थ पाचन के दौरान वाष्पशील यौगिक उत्पन्न करते हैं.

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